24 न्यूज अपडेट. डूंगरपुर। राजस्थान में रीट पात्रता परीक्षा 2025 के दौरान एक विवादित घटना सामने आई, जहां तीन ब्राह्मण अभ्यर्थियों की जबरन जनेऊ उतरवाई गई। यह घटना डूंगरपुर जिले के दो परीक्षा केंद्रों—स्वामी विवेकानंद कॉलेज, पुनाली और सुंदरपुर परीक्षा केंद्र पर हुई।
घटना कैसे हुई?
शुक्रवार, 28 फरवरी को परीक्षा के दूसरे दिन जब परीक्षार्थियों की तलाशी ली जा रही थी, तब तीन ब्राह्मण छात्रों को अपनी जनेऊ उतारने के लिए मजबूर किया गया।
📍 स्वामी विवेकानंद कॉलेज, पुनाली में – हेमेंद्र कुमार जोशी और मयंक पुरोहित
📍 सुंदरपुर सेंटर पर – पिंकल उपाध्याय
इस घटना के बाद ब्राह्मण समाज में भारी आक्रोश फैल गया और उन्होंने इसे धार्मिक परंपराओं का अपमान बताया।
कौन-कौन पर कार्रवाई हुई?
घटना के सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए—
✔ सुंदरपुर परीक्षा केंद्र की महिला सुपरवाइजर सुनीता कुमारी को सस्पेंड कर दिया।
✔ पुनाली परीक्षा केंद्र पर तैनात हेड कॉन्स्टेबल शिवलाल को लाइन हाजिर कर दिया।
ब्राह्मण संगठनों का विरोध और मांग
इस मामले के उजागर होने के बाद विप्र फाउंडेशन और अन्य ब्राह्मण संगठनों ने विरोध दर्ज कराया और जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
📌 ब्राह्मण समाज का कहना था कि जनेऊ धार्मिक मान्यता का हिस्सा है, और परीक्षा में इसे उतरवाना पूरी तरह अनुचित है।
📌 विप्र फाउंडेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंड्या और महामंत्री प्रशांत चौबीसा ने इसे ब्राह्मण समाज के अपमान से जोड़ा और मांग की कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
सरकारी बयान और शिक्षा विभाग की सफाई
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी नवीन प्रकाश जैन ने इस मामले पर बयान जारी कर कहा—
📢 “बोर्ड के दिशा-निर्देशों में जनेऊ को परीक्षा में आपत्तिजनक वस्तु नहीं माना गया है। जनेऊ उतरवाने के कोई सरकारी आदेश नहीं थे।”
इसके बावजूद परीक्षा केंद्रों पर छात्रों को जनेऊ उतारने के लिए मजबूर किया गया, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस आदेश के तहत ऐसा किया गया?
भविष्य में क्या होगा?
✔ प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि इस तरह की घटनाएं फिर से न हों, इसके लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
✔ ब्राह्मण संगठनों ने सरकार से दोषियों के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
✔ शिक्षा विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि धार्मिक मान्यताओं के साथ कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

