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🌟 जज्बे की जीत : उदयपुर के डॉ. भूपेंद्र आर्य बने कॉलेज शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार में सहायक आचार्य (लोक प्रशासन), छाई खुशी की लहर, बधाइयों का लगा तांता

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पंख होने से कुछ नहीं होता, हौसलों की उड़ान होती है!

24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आज की सुबह तब और खुशनुमा हो गई जब उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में सबके चहेते हरफनमौला, हर दिल अजीज व अपने बुद्धिबल का कई स्तरों पर लोहा मनवाने वाले शिक्षा जगत के चमकते सितारे, कई विद्यार्थियों व स्कॉलरों के मेंटोर, मोटीवेटर और रोल मॉडल डॉ. भूपेंद्र आर्य का कॉलेज शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार में सहायक आचार्य (लोक प्रशासन) राजस्थान सरकार के कॉलेज शिक्षा विभाग में लोक प्रशासन विषय में सहायक आचार्य के पद पर चयन हुआ। खबर मिलते ही दोस्तों, परिजनों, शिक्षकों छात्रों, सहित परिचितों और शिक्षा, खेल, राजनीति, सामाजिक, सांस्कृतिक तबकों में खुशी की लहर दौड़ गई। बधाइयां का तांता लग गया।
24 न्यूज अपडेट में प्रस्तुत है उनकी सफलता की संघर्षों से भरी हुई प्रेरणादायक कहानी-

उदयपुर के डॉ. भूपेंद्र आर्य बने कॉलेज शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार में सहायक आचार्य (लोक प्रशासन)

— संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक यात्रा, जिसने यह साबित कर दिया कि ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’

उदयपुर, राजस्थान — कहते हैं कि “अगर हौसले बुलंद हों तो मंज़िलें खुद रास्ता देती हैं।” इस कहावत को चरितार्थ किया है उदयपुर के डॉ. भूपेंद्र आर्य ने, जिनका चयन हाल ही में राजस्थान सरकार के कॉलेज शिक्षा विभाग में लोक प्रशासन विषय के सहायक आचार्य पद पर हुआ है।
यह उपलब्धि केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि उस अदम्य संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास की कहानी है जो हर युवा को यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ निश्चय हो तो सफलता निश्चित है।


🩵 संघर्षों से भरा बचपन — और कभी न झुकने वाला जज़्बा

सैनिक परिवार में जन्मे डॉ. भूपेंद्र आर्य का जीवन आसान नहीं रहा। मात्र 7 वर्ष की आयु में सिर में गंभीर चोट लगने से उनके मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में गहरा घाव हो गया। डॉक्टरों ने लंबा इलाज चलाया और करीब 10 वर्षों तक निरंतर उपचार के बाद यह चोट पूरी तरह ठीक हुई।
लेकिन इस कठिन दौर में भी भूपेंद्र ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया, बल्कि हर चुनौती को अपने विकास का अवसर बनाया। शिक्षा, खेल और सामाजिक गतिविधियों में वे निरंतर आगे बढ़ते रहे — और यही निरंतरता आज उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।


🎓 शिक्षा जगत में बेमिसाल उपलब्धियाँ — बना राष्ट्रीय रिकॉर्ड

डॉ. आर्य ने अकादमिक क्षेत्र में वो मुकाम हासिल किया है जो देशभर में बहुत कम लोग प्राप्त कर पाते हैं।
वे मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के ऐसे पहले शोधार्थी हैं जिन्होंने एक ही विश्वविद्यालय से स्नातक से लेकर दो पीएचडी तक की उपाधियाँ प्राप्त कीं।

🔹 पीएचडी (2 विषयों में)

1️⃣ राजनीति विज्ञान (अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय)
2️⃣ लोक प्रशासन (राजस्थान में उच्च शिक्षा में कार्य निष्पादन विषय पर)

🔹 यूजीसी–जेआरएफ (2 विषयों में)

1️⃣ राजनीति विज्ञान
2️⃣ लोक प्रशासन

🔹 यूजीसी–नेट (6 विषयों में)

राज्य ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि असाधारण है — देशभर में ऐसे लगभग 20 लोग ही हैं जिन्होंने चार या अधिक विषयों में यूजीसी नेट परीक्षा पास की है।
डॉ. आर्य ने 6 विषयों में नेट पास कर यह रिकॉर्ड बनाया —

🔹 चार विषयों में परास्नातक (M.A.)

1️⃣ राजनीति विज्ञान (प्रथम स्थान)
2️⃣ लोक प्रशासन
3️⃣ शिक्षा शास्त्र
4️⃣ इतिहास

🔹 डिप्लोमा और प्रमाणपत्र कोर्स (4)


🏅 खेल जगत में भी चमका सितारा

डॉ. भूपेंद्र न केवल एक विद्वान हैं, बल्कि एक उत्कृष्ट खिलाड़ी भी हैं।
उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कई अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में किया।


🧭 विश्वविद्यालय और समाज सेवा में सक्रिय योगदान

डॉ. आर्य MLSU स्टूडेंट ग्रीवेंस रीड्रेसल कमिटी के विशेष आमंत्रित सदस्य रहे।
वे विश्वविद्यालय के कई अकादमिक और खेल आयोजनों में सेलेक्टर, संयोजक और सलाहकार सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं।
साथ ही, वे राजनीति और छात्र राजनीति के गहन विश्लेषक हैं और कई बार युवाओं को समाज और शासन के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरक व्याख्यान भी दे चुके हैं।


💬 डॉ. आर्य का प्रेरक संदेश युवाओं के नाम

“जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं।
सफलता एक दिन में नहीं मिलती, पर एक दिन ज़रूर मिलती है।
अगर आप गिरकर भी उठते रहते हैं, तो कोई शक्ति आपकी मंज़िल को आपसे नहीं छीन सकती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”

वे अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और मित्रों को देते हैं और मानते हैं कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था।


🌠 प्रेरणा का स्रोत बनते डॉ. भूपेंद्र आर्य

डॉ. आर्य की सफलता ने न केवल उदयपुर और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है, बल्कि उन्होंने यह भी साबित किया है कि अगर मन में विश्वास और लगन हो, तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, सपने साकार हो सकते हैं।
उनकी कहानी आज उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो संघर्ष के बावजूद अपने सपनों को जिंदा रखे हुए हैं।

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