24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। जानलेवा पांच दिन बाद भी पुलिस खाली हाथ क्यों हैं, क्या पुलिस के पास मामले में कोई क्लू नहीं है या फिर जान बूझकर ढिलाई की जा रही है। अपराधियों के नामजद होने के बाद भी कहीं कोई ऐसा दबाव तो नहीं जो पुलिस के हाथ बांध रहा है या मामले में ढील देने पर मजबूर कर रहा है। सीसीटीवी फुटेज कहां हैं व क्या कहानी कह रहे हैं। दो साल से मामला चल रहा है, कई स्तरों पर आरटीआई भी लगी है, इस बीच तीन बार हमले हो गए। क्या उंगलियां प्रशासन की तरफ भी उठ रही हैं? हमला करने वालों ने पांच दिन पहले चुनाव वाला समय ही क्यों चुना? अब तक व्यवसायी को पुख्ता सुरक्षा क्यों नहीं दी गई? उनका हथियार का लाइसेंस कब मिलेगा? एफआईआर में किनके नाम लिखे गए, किनके लिए किनके डर से इनकार हो गया? क्या यह लेकसिटी में पॉलिटिक्स, जमीन माफिया और एडमिनिस्ट्रेटिव फेल्योर का क्लासिक एग्जाम्पल है? कानून की दहलीज पर सजा पाने की आहट से किसके कदम डर से लड़खड़ा रहे हैं……………………। ये वो सवाल है जो आज जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने आए लोगों की चर्चा में शामिल थे। मामला मार्बल प्रोससर्स समिति के अध्यक्ष कपिल सुराणा पर हुए जानलेवा हमले का हैं। आज बडी संख्या में मार्बल व्यवसाइयों ने कलेक्टर को ना सिर्फ ज्ञापन दिया बल्कि पूरे मामले की हिस्ट्री, बेकग्राउंड और तथ्यों से अवगत भी करवाया। एक्स प्रेसिडेंट विजय गोधा ने कहा कि मार्बल इंडस्ट्री के सभी लोग कलेक्टर साहब के चेम्बर में गए और हमने वेदना बताई। डीटेल में कपिल सुराणा के पिता ने महेंद्र सुराणा एक-एक कागज कलेक्टर अरविंद पोसवाल को बताए। हर डिपार्टमेंट ने देलवाडा में उनकी जमीन पर हुए अवैध काम को रोकने का आदेश दिया है। उसके बाद भी वे मसल पावर वाले लोग लोग काम से रोक रहे हैं। पहले आईजी साहब से भी मिलकर गुहार लगा चुके हैं। हमलवरों में से कुछ की पहचान हो चुकी है कुछ अपराधियों के नाम एफआईआर में लिखवाए हैं। प्रशासन उन पर तुरंत कार्रवाई करें। हमको आए दिन धमकाया जा रहा है। कपिल की गाडी से तीन लाख रूपए भी बदमाश ले गए। प्रशासन से रिक्वेस्ट है कि जल्द से जल्द कार्रवाई कर अवैध कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। ज्ञापन देने आए व्यवसाइयों ने भी आरोपियों को पकड़ कर मार्बल जगत को हर तरह से भयमुक्त करने की मांग की।
इस मामले में आरोप यह भी है कि व्यक्तिगत विवाद को बहुत ही सफाई के साथ दो जिलों के विवाद में कन्वर्ट किया गया और फिर ऐसी प्रशासनिक बिसात बिछाई गई, ऐसी नियुक्तियां हुई कि मामला लंबा खिंचता चला जाए। इस बीच हर अपने पक्ष में विवाद के निपटरे के हर मुमकिन प्रयास हुए मगर सफलता नहीं मिली। सरकार बदलने के बाद राजनीतक ढांचा तो बदल गया है मगर निचले स्तर पर जमे हुए लोग अब भी एक खास तरह के सिस्टम को सपोर्ट कर रहे हैं। सुराणा पर हुआ हमला जानलेवा था व यदि सुराणा समय रहते अपना बचाव नहीं करते तो अनहोनी हो सकती थी लेकिन इतने गंभीर मामले में भी पांच दिन बाद तक कोई क्लू सामने नहीं आना चिंता का विषय बनता जा रहा है। हमले में धारा 307 भी लगाए जाने को लेकर चर्चा हो रही है।
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