24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। राजस्थान राज्य में दूसरा फ्लाइंग स्कूल भीलवाड़ा के हमीरगढ़ क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा। यह महत्वाकांक्षी परियोजना राज्य सरकार की नई विमानन नीति का हिस्सा है। इसके जरिए राजस्थान के युवाओं को पायलट बनने का प्रशिक्षण मिलेगा और एविएशन क्षेत्र में नए अवसर पैदा होंगे।
फ्लाइंग स्कूल की लोकेशन
फ्लाइंग स्कूल की स्थापना भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिलों की सीमा पर होगी। सरकार ने इसके लिए 185 बीघा भूमि आवंटित की है। भीलवाड़ा में 96 बीघा और चित्तौड़गढ़ में 89 बीघा जमीन इस परियोजना के लिए दी गई है। हवाई पट्टी की कुल लंबाई 1530.80 मीटर और चौड़ाई 30.50 मीटर है।
फ्लाइंग स्कूल का संचालन
फ्लाइंग स्कूल का संचालन नागरिक उड्डयन विभाग करेगा। हालांकि इसे शुरू करने के लिए अभी नागरिक उड्डयन महानिदेशक (क्ळब्।) की अंतिम मंजूरी का इंतजार है। एविएशन विभाग को उम्मीद है कि यह स्कूल 2025 के अंत तक पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एविएशन अकादमी भी संचालन में सहायक होंगी। प्रारंभ में दो तरह के कोर्स संचालित किए जाएंगे। न्यूनतम आयुः 17 वर्ष, अधिकतम आयुः मेडिकल फिटनेस के आधार पर। किसी भी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के स्टूडेंट इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकेंगे।
कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस
न्यूनतम आयुः 17 वर्ष, अधिकतम आयुः मेडिकल फिटनेस के आधार पर। आवश्यक योग्यताः विज्ञान और गणित विषय के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। दोनों कोर्स में प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
एयरक्राफ्ट की उपलब्धताः
फ्लाइंग स्कूल की शुरुआत 7 एयरक्राफ्ट से होगी। इनका उपयोग छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। हवाई पट्टी तक पहुंचने के लिए तीन मीटर चौड़ी सड़क बनाई गई है। इस हवाई पट्टी का उद्घाटन 19 सितंबर 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर सीपी जोशी ने किया था। यहां पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री जैसे वीआईपी लोगों का आगमन हो चुका है।
राज्य सरकार की नीतिः
कैबिनेट बैठक के बाद इस परियोजना की घोषणा की गई थी। नागरिक विमानन नीति-2024 के तहत फ्लाइंग स्कूल खोलने के साथ विमानन रखरखाव सेवाओं और एयरोस्पेस गतिविधियों को विकसित करने पर जोर दिया गया है। राज्य में भीलवाड़ा के अलावा अन्य स्थानों पर भी फ्लाइंग स्कूल खोलने की योजना है। भीलवाड़ा के विधायक अशोक कोठारी ने कहा कि इस परियोजना से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे। एविएशन सेक्टर के विस्तार से भविष्य में एयर कार्गो और यात्री विमानों की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। स्टूडेंट्स को पायलट बनने का सपना साकार करने के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा। भीलवाड़ा और आसपास के क्षेत्र के छात्रों का समय और पैसा दोनों बचेगा। फ्लाइंग स्कूल की स्थापना से भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ क्षेत्रों में आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। प्रोजेक्ट की समयसीमा 2025 के अंत तक रखी गई है, जिसके दौरान बुनियादी ढांचे का विकास और तकनीकी व्यवस्था पूरी करनी होगी।
285 बीघा जमीन पर दो जिलों की सीमा में बनेगा फ्लाइंग स्कूल

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