रिपोर्ट : कमलेश झड़ोला
24 न्यूज अपडेट, सलूंबर। सराड़ा तहसील के डेलवास गांव में वर्ष 2018 में हुई हत्या की घटना के बाद गांव के आठ परिवारों को सामाजिक बहिष्कार कर बेदखल कर दिए जाने के मामले में अब आखिरकार प्रशासन की पहल रंग लाई है। आठ वर्षों से अपने हक और पुनर्वास की लड़ाई लड़ रहे इन परिवारों को 29 नवंबर 2024 को 24 न्यूज अपडेट में प्रकाशित व प्रसारित खबर के बाद आखिरकार राहत मिलनी शुरू हुई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में डेलवास गांव में हत्या की घटना के बाद गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने 8 परिवारों के करीब 70 लोगों का हुक्का-पानी बंद कर, उनके घर लूट कर तथा तोड़-फोड़ कर गांव से बाहर निकाल दिया था। इन परिवारों का आरोप था कि हत्या का मुकदमा अभी न्यायालय में विचाराधीन होते हुए भी उनके निर्दोष परिजनों को फंसाया गया और समस्त परिवार को सामाजिक बहिष्कार कर बेघर कर दिया गया। कई लोग जंगलों, रिश्तेदारों व अन्य गांवों में दर-बदर भटकने को मजबूर हो गए। इन लोगों को न वोट डालने दिया गया, न राशन मिला और न ही कोई सामाजिक हक। इन पीड़ित परिवारों ने कई बार प्रशासन व पुलिस से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। 29 नवंबर 2024 को 24 न्यूज़ अपडेट में प्रकाशित इस खबर के बाद मामले पर व्यापक सामाजिक व प्रशासनिक विमर्श हुआ। अब जिला कलेक्टर सलूंबर ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए।
16 जून 2025 को आज उपखंड अधिकारी सराड़ा जिला सलूंबर की ओर से प्रेस नोट जारी कर बताया गया कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर अतिरिक्त जिला कलक्टर सलूंबर के मार्गदर्शन में सराड़ा उपखंड अधिकारी निलेश कुमार कलाल ने तीन दौर की वार्ता एवं दो माह के अथक प्रयासों के बाद तीन परिवारों के 18 सदस्यों की गांव में पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी करवाई। इनमें वे तीन बच्चे भी शामिल हैं जो जन्म के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे। परिवारों ने रीति-रिवाजों के साथ भूमि पूजन कर पौधारोपण किया और अपने टूटे घरों को फिर से बसाने का संकल्प लिया।
पुनर्वास प्रक्रिया में क्षेत्र के सरपंच, पूर्व सरपंच, आस-पास के गांवों के गणमान्य नागरिक, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, पुलिस अधिकारी और ग्रामीणों की उपस्थिति में समझौता सम्पन्न हुआ। मौके पर पुलिस थाना परसाद के थानाधिकारी उमेश सानाढ्य व दल का भी सहयोग रहा। उपखंड अधिकारी सराड़ा ने कहा कि ये प्रशासन की संवेदनशीलता और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में अहम कदम है। वहीं, विभागीय सूत्रों के अनुसार शेष पांच परिवारों के मामले में भी प्रयास जारी हैं। प्रशासन चाह रहा है कि आपसी समझाइश और सामाजिक समन्वय के जरिए शेष परिवारों की भी पुनर्वापसी सुनिश्चित की जाए।
क्या था पूरा मामला?
2018 में डेलवास गांव में एक हत्या के बाद मृतक पक्ष ने गणेशलाल नामक युवक पर आरोप लगाया। इसके बाद गांव के दबंगों ने हत्या के आरोप का हवाला देकर पूरे आठ परिवारों को प्रताड़ित किया। मकान लूटे, तोड़े, दाह संस्कार तक नहीं करने दिया गया। बच्चों को स्कूल जाने से रोका, महिलाओं को खेत-बाजार तक में जाने नहीं दिया। इन परिवारों को रिश्ता-नाता करने से भी वंचित कर दिया गया। पीड़ित परिवारों का कहना था कि हत्या का मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है और गणेशलाल निर्दोष है, लेकिन फिर भी आठ साल से अन्याय सहना पड़ा। 29 नवंबर 2024 को 24 न्यूज़ अपडेट ने इस प्रकरण को प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और तीन परिवारों का पुनर्वास कर बाकी पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सहयोग में शामिल रहे प्रमुख लोग
इस पुनर्वास प्रक्रिया में दौरान निलेश कुमार कलाल, उपखण्ड अधिकारी, सराड़ा; महेन्द्र कुमार मीणा, भू-अभिलेख निरीक्षक, वृत्त-परसाद; सूरजमल, पटवारी, परसाद एवं सोनू खराड़ी, पूर्व पटवारी, परसाद के साथ-साथ आस-पास के पाँच गाँवों के सरपंच, मौतबीरान व समस्त ग्रामजन, ग्राम पंचायत डेलवास उपस्थित रहे। पन्ना लाल, सरपंच, डेलवास; हजारी लाल, पूर्व सरपंच, सवजी; कालू लाल, पूर्व सरपंच, चावण्ड; शंकर, पूर्व सरपंच, खरबर; शिवजी, पूर्व सरपंच, परसाद, नानूराम, जाबला; हीरा गमेती, पाटिया; रूपजी, छाणी; सूरजमल, खरबर; बाबू लाल, भूधर; नाना लालजी, बिलख; गौतमजी, लम्बरदार आदि के द्वारा मौतबीरान के रूप में समझौते हेतु मुख्य भूमिका निभाई। समस्त कार्यवाही के दौरान उमेश सानाढ्य, थानाधिकारी, पुलिस थाना, परसाद एवं पुलिस विभाग के दल का भी सहयोग रहा।
24 न्यूज अपडेट की खबर का जबर्दस्त असर, डेलवास निष्कासन प्रकरण में 8 साल बाद प्रशासन की पहल पर लौटी खुशियां, तीन परिवारों की घर वापसी

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