24 न्यूज अपडेट, जैसलमेर। पहलगाम आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई है। भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अटारी-वाघा बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया। सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश जारी किया गया है। फैसले ने जैसलमेर के दो परिवारों की जिंदगी में तूफान ला दिया, जहां 13 दिन पहले ससुराल आईं दो पाकिस्तानी दुल्हनों के सपने चकनाचूर होने की कगार पर हैं।
मेहंदी का रंग और आंसुओं की स्याही
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आईं करम खातून (21) और सचुल (22) ने 13 अप्रैल 2025 को जैसलमेर के देवीकोट में अपने ससुराल में कदम रखा था। उनके हाथों की मेहंदी का रंग अभी फीका भी नहीं हुआ था कि भारत छोड़ने का आदेश उनके लिए दुखों का पहाड़ बनकर टूट पड़ा। दोनों दुल्हनें कहती हैं, “हम मर जाएंगे, लेकिन अपने पतियों को छोड़कर वापस नहीं जाएंगे।“ इस खबर ने दूल्हे मुश्ताक अली की सेहत पर ऐसा असर डाला कि उनकी तबीयत बिगड़ गई, और अब उनका जोधपुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।
दुल्हनों को डेढ़ साल बाद वीजा मिला था
जैसलमेर के देवीकोट निवासी चचेरे भाई सालेह मोहम्मद और मुश्ताक अली जुलाई 2023 में अपनी बुआ से मिलने पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी गए थे। वहां करम और सचुल से उनकी मुलाकात प्यार में बदल गई। दोनों परिवारों की सहमति से अगस्त 2023 में निकाह हुआ। लेकिन वीजा की बाधा के कारण दुल्हनें पाकिस्तान में ही रह गईं, और दोनों दूल्हे सितंबर 2023 में भारत लौट आए। डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद अप्रैल 2025 में वीजा मिला, और 13 अप्रैल को दुल्हनें ससुराल पहुंचीं। लेकिन खुशियां महज 10 दिन ही टिकीं, जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमले ने सब कुछ बदल दिया।
परिवार की गुहारः “हमारा घर न उजड़े“
दुल्हनों के ससुर हाजी अब्दुल्ला का कहना है कि दोनों दुल्हनों के भारत आने के बाद लॉन्ग टर्म वीजा (स्ज्ट) के लिए आवेदन किया गया था। लेकिन अब पुलिस प्रशासन उन्हें वापस भेजने का दबाव बना रहा है। वे कहते हैं, “अगर इन्हें वापस भेजा गया, तो रास्ते बंद होने पर हमारा परिवार बिखर जाएगा।“ खासकर करम खातून की स्थिति दिल दहला देने वाली है। उनकी मां का देहांत हो चुका है, और पिता अरब में काम करते हैं, जिनसे संपर्क नहीं हो पा रहा। अब्दुल्ला पूछते हैं, “ऐसे में हम अपनी बहू को किसके भरोसे भेजें?“
भारत का सख्त रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। अटारी बॉर्डर से पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जैसलमेर के विदेशी पंजीयन अधिकारी विक्रम सिंह भाटी के अनुसार, 25 अप्रैल तक चार पाकिस्तानी नागरिक वापस लौट चुके हैं। लॉन्ग टर्म वीजा धारकों को छोड़कर सभी को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ना होगा, जबकि मेडिकल वीजा वालों को 29 अप्रैल तक की मोहलत दी गई है।
एक मानवीय अपील
दोनों परिवार भारत सरकार से मानवीय आधार पर छूट देने की अपील कर रहे हैं। सालेह मोहम्मद कहते हैं, “डेढ़ साल का इंतजार, इतनी मुश्किलों के बाद हमारा परिवार एक हुआ। अब एक आदेश हमें फिर से तोड़ देगा।“ यह कहानी केवल दो दुल्हनों की नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों की है, जो सीमा पार के रिश्तों में बंधे हैं और अब अनिश्चितता के भंवर में फंस गए हैं। क्या सरकार इन नवविवाहित जोड़ों के दर्द को समझेगी, या भू-राजनीति की सख्ती इनके सपनों को कुचल देगी? यह सवाल जैसलमेर की रेत में गूंज रहा है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.