चित्तौडग़ढ़। सावंलिया सेठ की महिमा अपरम्पार है। उनके दरबार में पैसे के साथ ही सोना-चांदी की बारिश होती है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर दिल खेाल कर गुप्तदान देते हैं। हर बार भंडारा खुलते ही नया रिकॉर्ड बन जाता है। इस बार बहुत खास हुआ है। चढ़ावा इतना आया कि नया दानपात्र लगाना पड़ा। श्री सांवलिया जी मंदिर में शनिवार को भंडार खोला गया। काउंटिंग शुरू हुई तो पहले ही दिन 11 करोड़ 34 लाख 75 हजार रुपयों की गिनती हो गई। रविवार को अमावस है इसलिए गिनती नहीं होगी। ऐसे में सोमवार को फिर से गिनती आगे बढ़ेगी। दो महीने बाद भंडार खोला गया है। दीपावली से एक दिन पहले चतुर्दशी थी इसलिए भंडार नहीं खोला गया। अभी सोने-चांदी का तौल बाकी है। सुबह राजभोग की आरती के बाद खुला। मुख्य कार्यपालक और एडीएम (प्रशासन) प्रभा गौतम, मंदिर मंडल अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर, सदस्य संजय कुमार मंडोवरा, श्रीलाल पाटीदार, अशोक शर्मा, भैरूलाल सोनी, ममतेश शर्मा, मंदिर प्रभारी राजेंद्र शर्मा सहित मंदिर पदाधिकारी मौजूद थे। भंडार से राशि निकाली गई। मंदिर मंडल के कर्मचारियों और बैंक कर्मियों ने गिनती शुरू की। पहले दिन 11 करोड़ 34 लाख 74 हजार रुपयों की गिनती हुई। सभी नोट 500-500 रुपए के थे। इस बार 2 महीने बाद दानपात्र खोलने से यह हुआ कि मंदिर में रखे गए दानपात्र फुल हो गए। दूसरा दानपात्र लगाना पड़ा।
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