हर्षाल्लास भरे वातावरण में हुआ सप्त दिवसीय श्रीमद् देवीभागवत कथा समापन
कविता पारख
24 News Updare निम्बाहेड़ा । कालेज रोड स्थित पारख भवन में सप्त दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के अंतिम दिन का प्रारंभ इन्द्र-वृत्रासुर आख्यान से हुआ। कथावाचक पं योगेश्वर शास्त्री ने बताया कि देवी भगवती की कृपा से ही महादानी दधिचि ऋषि की अस्थियों से निर्मित वज्र से वृत्रासुर का अंत हुआ।इसी प्रकार देवी समय समय पर शुंभ-निशुंभ,चंड-मुंड, दुर्गम जैसे कई असुरों का अंत करने को विभिन्न रुपों को धारण कर धरती को आतंक मुक्त करती रही है। उन्होंने कहा कि भारत भर में स्थित शक्तिपीठों तथा अन्य मंदिरों में विराजित देवियां उसी जगदम्बा के ही स्वरूप हैं। समापन झांकी में नवदुर्गा तथा भैरव और शेर रूप धरे नन्हें बालकों के प्रवेश पर तो पांडाल जय-जयकार से गूंज उठा। श्रोता भक्त भाव-विभोर होकर नाच उठे,आयोजकों ने नवदुर्गा का पूजन किया ।
कथा आयोजक प्रजापत परिवार के रमेशचंद्र प्रजापत ने बताया कि समापन कथा से पूर्व पं शास्त्री के निर्देशन में विधिवत यज्ञ-हवन हुआ। कथा समाप्ति पर उपस्थित श्रोताओं ने देवी भागवत ग्रंथ की पूजा की। इस अवसर पर शिक्षाविद् प्रद्युम्न श्रीमाली श्पार्थश् ने साप्ताहिक कथा पर संक्षिप्त काव्यात्मक प्रस्तुति दी। बाहर से आए श्रोताओं ने व्यासपीठ पर विराजित पं. योगेश्वर शास्त्री का अभिनन्दन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रीमद्य देवी भागवत कथा के मुख्य जजमान ने सभी का आभार ज्ञापित किया। कथा विश्राम पर महाप्रसादी का आयोजन किया गया।

