24 न्यूज अपडेट.जयपुर। ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ के तहत चुनावों के मंसूबे के तहत 49 स्थानीय निकायों में प्रशासक लगाने के बाद अब सवाल उठने लग गए हैं कि ऐसा करना वैधानिक भी है या नहीं। आखिर चुनाव कहां तक टाला जाए। कोई हाईकोर्ट चला गया तो सरकार के पास कहने को तर्क ही नहीं है कि ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि चुनाव नहीं करवा रहे हो। तर्क फेल हो गया तो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की नजीरें दी जाएंगी जिनमें फटकार के साथ चुनाव करवाने के आदेश हैं। हाल ही में पंजाब में चुनाव टालने पर सुप्रीम कोर्ट फटकार लगा चुका है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा है कि चुनाव टालना संविधान विरोधी कदम है, हम चुप नहीं बैठेंगे, सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। सरपंच संघ ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया है। इधर, राज्य सरकार जनवरी में होने वाले 6 हजार 857 ग्राम पंचायत के चुनाव भी टालने की तैयारी में हैं व वहां भी प्रशासन लगाए जाएंगे जिनका सरपंच संघ अभी से विरोध कर रहा है। कानूनविद कह चुके हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव 5 साल में करवाया जाना अनिवार्य है। आपात स्थिति को छोड़कर चुनाव टालने का कोई प्रावधान नहीं है। आपको बता दें कि राजस्थान विधान सभा में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी इसका जिक्र कर चुकी है कि निकाय चुनाव सरकार एक साथ ही करवाना चाह रही है। जबकि 73वें संविधान संशोधन में ही यह प्रावधान है कि पंचायती राज संस्थाओं के 5 साल में चुनाव कराने होंगे, विशेष परिस्थितियों के अलावा चुनाव टालने का प्रावधान नहीं है। संविधान के प्रावधान को राज्य सरकार बदल नहीं सकती, प्रशासक भी 6 महीने से ज्यादा नहीं लगा सकते, उसके लिए भी पुख्ता कारण चाहिए। पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 17 के अनुसार किसी भी पंचायती राज संस्था का कार्यकाल 5 साल होता है। 5 साल से पहले चुनाव कराना जरूरी होता है। पंचायती राज संस्था को बीच में भंग करने पर भी 6 महीने के भीतर चुनाव जरूरी हैं। जहां कार्यकाल छह महीने से कम है वहां चुनाव कराने जरूरी नहीं हैं। सरकार वार्डों के परिसीमन की आड़ में समय ले सकती है मगर इसमें भी दो से तीन महीने से ज्यादा टालना संभव नहीं हो पाएगा। राज्य में 213 शहरी निकाय हैं। इनके एक साथ चुनाव करवाने हैं। इनमें 11 नगर निगम, 33 नगर परिषद और 169 नगरपालिकाएं हैं। पंचायतीराज संस्थाओं में 11 हजार 341 ग्राम पंचायतों, 352 पंचायत समितियों और 33 जिला परिषदों के चुनाव एक साथ करवाना भी चुनौती है। अगले साल 2025 में जनवरी में 6975 ग्राम पंचायतों, मार्च में 704 ग्राम पंचायतों और अक्टूबर में 3847 ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सबके एक साथ चुनाव करवाने के लिए आधी पंचायतों के चुनाव आगे पीछे करने होंगे। दिसंबर 2025 में 21 जिला परिषदों, सितंबर-अक्टूबर 2026 में 8 जिला परिषदों और दिसंबर 2026 में 4 जिला परिषदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.