24 न्यूज अपडेट नेशनल डेस्क। पुरी के गुंडीचा मंदिर में मंगलवार रात को सेवादार रथों से भगवान की मूर्तियां उतारकर मंदिर के अंदर ले जा रहे थे तभी मूर्ति गिर गई। मंगलवार रात 9 बजे यह हादसा हुआ जिसमें भगवान बलभद्र की मूर्ति सेवादारों पर गिरी व 9 सेवादार घायल हो गए। रथयात्रा के बाद, गुंडीचा मंदिर में उस समय पहांडी विधि चल रही थी। सेवादार भगवान की मूर्तियांं को रथों पर से उतारकर मंदिर में ले जा रहे थे। तभी भगवान बलभद्र की मूर्ति को उतारते हुए सेवादार रथ के स्लोप पर फिसल गए और मूर्ति उन पर आ गिरी। इसमें 9 सेवादार घायल हो गए। 5 का इलाज अस्पताल में चल रहा है। मूर्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है। एक घायल सेवक ने बताया कि मूर्ति से बंधी रस्सी जैसी अचानक छूटने से दुर्घटना हुई। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घायल सेवकों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन को तत्काल पुरी रवाना किया। अब तक रथयात्रा में भगवान बलभद्र के तालध्वज रथ को खींचने के दौरान दम घुटने से एक श्रद्धालु की मौत हो चुकी है। 8 लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी। हादसे के तुरंत बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की पूजा-अर्चना फिर से शुरू हो गई। सभी मूर्तियों को जन्मस्थान गुंडीचा मंदिर के अंदर ले जाया गया। भगवान यहां पर 15 जुलाई तक विराजेंगे। उसी दिन बहुड़ा जात्रा या वापसी उत्सव आरंभ होगा। तीनों मूर्तियां श्रीमंदिर में वापस आ जाएंगी। गुंडीचा मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर से केवल 3 किमी दूर है। महाप्रभु हर साल जब भी यहां आते हैं उसके एक महीने पहले से गुंडीचा मंदिर के 500 मीटर के दायरे में भगवान के आगमन की तैयारियां हर घर में शुरू हो जाती हैं। लोग नॉनवेज खाना छोड़ देते हैं व सात्विक जीवन जीते हैं। रथ यात्रा के सात दिन घर का हर व्यक्ति सदस्य नए कपड़े पहनता है और महाप्रभु के पूजन के बाद मिलने वाले अभड़ा प्रसाद खाकर अपनी दिनचर्या का आरंभ करता हैं। हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है। इसके बाद वे बीमार हो जाते हैं और आषाढ़ कृष्ण पक्ष के 15 दिनों तक बीमार रहते हैं, इस दौरान वे दर्शन नहीं देते। 16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथ यात्रा शुरू होती है।
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