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क्या दबाव पड़ने पर ही काम करती है निगम की टीम, सालभर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, डंडा होते ही टेक्स वसूली शुरू

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। नगर निगम में बहुत ही निराला खेल चल रहा है। यूडी टैक्स के नाम पर इन दिनों जो मुहूर्त निकाल कर रोज-रोज ‘‘लाभ के चोघड़िये’’ में कार्रवायां हो रही है उससे कई सवाल उठ रहे हैं। क्या निगम में यह हालत हो गई है कि बिना राजनीतिक दखल के कोई कार्रवाई होती ही नहीं है या जहां नहीं करनी होती है वहां करते ही नहीं हैं। लेकिन जब राजनीतिक दबाव हटता है और अफसर डंडा घुमाते हैं तो वहीं मशीनरी अचानक नियमों की किताब खोल कर सक्रिय हो जाती है। 360 डिग्री का यू टर्न ले लेती है। जहां यूडी टेक्स की कार्रवाइयां हो रही हैं वहां की कुछ लोकेशन तो ऐसी हैं कि अगर कर्मचारी या अफसर वातानुकूलित कमरों से बाहर टहलते हुए भी निकल जाएं तो पहुंच जाएं। वहां का यूडी टेक्स अगर बरसों से बकाया हो व कुल बकाया रकम लाखों में हां तो इसमें दोषी संबंधित अधिकारी व कर्मचारी भी है या नहीं इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
उदयपुर में पिक एंड चूज के आधार पर यूडी टेक्स की कार्रवायाइयां करने का दौर चल रहा है। निगम की ओर से ऐसी कोई सूची या टाइमलाइन सार्वजनिक नहीं की गई है जिससे यह पता चल सके कि किसका यूडी टेक्स कितने सालों से बकाया है। कितना बकाया है। कब-कब नोटिस दिए गए। नोटिस देने के बाद कार्रवाई करने के आधिकारिक मियाद कितने दिनों की है। उसके बाद भी कार्रवाई नहीं करने का क्या कारण रहे। जब नोटिस पर टेक्स जमा नहीं हुआ तो कौन कौन से नेता अफसर कार्यरत थे जिनके कारण कार्रवाई नहीं हुई, यह भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अब जब टेक्स जमा कराने की अंतिम समय सीमा आई है, तब ही क्यों चुन-चुन कर कार्रवाइयां करते हुए-एक पर कार्रवाई का निगम में रोज मुहूर्त निकाला जा रहा है। जबकि कार्रवाइयां एक साथ एक ही नोटिस देकर की जा सकती है। सबकी डेडलाइट मार्च ही है। यही नहीं कई बार शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं करने वाला निगम का दस्ता अवकाश के दिनों में चार-पांच प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई करके वाहवाही लूटता नजर आ रहा है। ऐसा जताया जा रहा है कि जैसे अवकाश के दिनों में यह काम करके बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया हो। जबकि वास्तव में यह कार्रवाइयां वे हैं जो बरसों पहले ही हो जानी थी। सवाल उठता है कि अगर कर्मचारी मुस्तैद होते तो यह नौबत ही नहीं आनी चाहिए थी। नोटिस के बाद तुरंत मियाद खत्म होने पर कार्रवाई नहीं करने से निगम को भी राजस्व की हानि हुई है व जिन पर कार्रवाई हुई है उन पर भी एक साथ बड़ी राशि का भार पड़ा है। ऐसे में उन कार्मिकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने समय रहते यूडी टेक्स नहीं वसूल किया व जब्ती की कार्रवाई नहीं की। एक और सवाल उठ रहा है कि क्या अब तक कार्रवाइयां पॉलिटिकल प्रेशर के कारण नहीं की गई?? अब हो रही है तो कौनसे दबाव से मुक्त हो गए हैं। या जिनका दबाव है उनको छोड़ कर कार्रवाई कर रहे हैं?
उदयपुर ने आज बापू बाजार और सूरजपोल क्षेत्र में दुकानों को सीज यिका गया। सूरजपोल क्षेत्र में राधा कृष्ण शिक्षान्यास का 40,56236 रूपए टैक्स बकाया था। तीन दुकानों को राजस्व अधिकारी नितेश भटनागर और सहायक प्रशासनिक अधिकारी विनोद अग्रवाल के नेतृत्व में सीज किया गया। बापू बाजार में डालचंद जैन के 1072201 रूपए यूडी टेक्स के बकाया थे। उनका जतन ट्रेडर्स सीज हो गया। सब सिटी सेंटर, सवीना ए-ब्लॉक में सुमित्रा जैन पत्नी मुकेश जैन का 360802 रूपए का नगरीय विकास कर बाकी है। यश सिरेमिक प्लाजा बिल्डिंग को सीज किया गया।

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