Site icon 24 News Update

यूडी टेक्स में खुलकर मनमानी, सिंधी बाजार को 100 फीट रोड बता जारी किए नोटिस, जो दायरे में नहीं आ रहे उनको भी थमा रहे नोटिस

Advertisements

24 न्यूज अपडेट उदयपुर। एकमुश्त टेक्स जाम है तो भी नोटिस आ रहे हैं, जो दायरे में नहीं आ रहे हैं उनको जबरन दायरे में लाकर नोटिस भेजे जा रहे हैं। सिंधी बाजार की रोड को 100 फीट की रोड बता कर जबरन नोटिस दिए जा रहे हैं। कहीं नोटिस देकर परेशान करने का कोई खेल तो नहीं चल रहा है इन दिनों नगर निगम में। 24 न्यूज अपडेट की टीम ने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आए जिनसे यह साबित हो रहा है कि अफसरों ने आंख मूंदकर जनता को ठेके के लोगों के हवाले कर दिया है। यूडी टेक्स का ठेका लेने वालों को जनता से नहीं, अपनी आमदनी से मतलब है। अफसरों को मार्च तक टार्गेट पूरा करने का लक्ष्य मिला हुआ है, उन पर डंडा हो रहा है तो वे जनता पर डंडा कर रहे हैं। कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ जनता पर हो रही है। लापरवाही बरतने वाले मजे कर रहे हैं। जिन्होंने 17 से 18 सालों तक टेक्स नहीं वसूला, उन पर कार्रवाई तो दूर, कार्रवाई की कोई चर्चा तक नहीं। जो लोग गलत सर्वे कर रहे हैं वे बेखौफ हैं कि उन पर कभी कोई कार्रवाई होने वाली ही नहीं है। ज्यादा से ज्यादा गलती हो जाने पर कानून के डर से कागजों में दुरूस्त कर देने के दस्तूर से ज्यादा कुछ होने वाला नहीं। उपर से नेताओं का संरक्षण होने से ज्यादा चर्चा या विरोध की कोई गुंजाइश नहीं बच पाती है।
आपको बता दें कि नगर निगम की ओर से नगरीय विकास कर के संग्रहण के लिए एक निजी प्राइवेट कंपनी को ठेका दे रखा है जिसमें कार्यरत कार्मिक को लगता है कि ना तो तकनीकी ज्ञान है ना ही उनके पास ऐसी कोई विशेषज्ञता है। शहर में नगरीय विकास कर के संग्रहण में ठेकाकर्मी कंपनी को 10 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाता है। याने जितना ज्यादा कर मिलेगा उतना ज्यादा पैसा कंपनी का बनेगा। यह काम निगम की राजस्व शाखा के माध्यम से किया जा रहा है।
ऐसे होती है टेक्स की गणना
टेक्स की गणना के लिए आवासीय भूखंडों पर 2700 वर्गफीट से अधिक होने पर नगरीय विकास कर लागू होता है चाहे निर्माण का एरिया कुछ भी हो। कितनी भी मंजिल बनी हो। टेक्स का निर्धारण भूखंड पर ही होगा वहीं दूसरी ओर व्यवसायिक भूखंड या कॉमर्शियल प्लॉट पर 900 वर्गफीट प्लॉट एरिया या निर्माण क्षेत्रफल 900 वर्गफीट से अधिक हो वहां पर नगरीय विकास कर लागू हो जाता है।
ठेकाकर्मियों की खुलकर मनमानी
यहां पर ठेकाकर्मी धूल में लठ चला रहे हैं क्योंकि ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने एकमुश्त कर जमा करवा दिया है उनको नोटिस भेजे जा रहे हैं। शहर के परम्परागत बाजारों में 150-150 वर्गफीट की दुकानों तक को नोटिस भेजा जा रहा है। यहां पर गौर करने लायक बात यह है कि लोगों को डराकर कार्यालय बुलाने के लिए जो नोटिस भेजे जाते हैं उसमें प्लॉट एरिया की गणना और निर्माण क्षेत्रफल की गणना भी मानमाने तरीके से बढा चढ़कर हो रही है। भयभीत होकर कार्यालय में पहुंचता है व उसके बाद क्या होता यह बताने की जरूरत ही नहीं है।
सिंधी बाजार को बता दिया 100 फीट रोड पर
शहर में 100 फीट की नई रोड निकली है जिससे शहरवासी अनजान है। हम उसके बारे में बताने जा रहे हैं। सिंधी बाजार याने कि भामाशाह मार्ग में निगम के ठेकाकर्मी को सौ फीट चौड़ी रोड नजर आ रही है। वे देख कर निगम को बता रहे हैं और निगम के अधिकारी आंख मूंदकर नोटिस का खेल खेल रहे हैं। इसके पीछे मंतव्य क्या है ये तो वे ही बता सकते हैं लेकिन यह बात ही हास्यास्पद है कि जिस रोड पर लोग पैदल तक चलने में संघर्ष करते हों व एक दो वाहन आने पर जाम लग जाता हो वो 100 फीट का कैसे हो सकता है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि ठेके पर ऐसे लोग लगे हुए हैं जिनकी गणित की समान्य शिक्षा-दीक्षा भी नहीं हुई है। सिंधी बाजार में कहीं पर भी सौ फीट रोड चौड़ी नहीं है। टेक्स की गणना में जो फार्मूला इस्तेमाल किया जाता है उसमें डीएलसी की दर भी रोड की चौड़ाई के आधार पर तय होती है व डीएलसी की दर के आधार पर टेक्स की गणना की जाती है। ऐसे में ज्यादा लोगों को टेक्स की जद में लाने का खेल खेलने के लिए सिंधी बाजार को चुना गया है। राजस्व विभाग भी मॉनिटरिंग की बजाय खुद आंख मूंद कर बैठा है। ठेकाकर्मी जो कर रहे हैं उन पर आंख मूंदकर सहमति है। ऐसे में ठेकाकर्मी निरंकुश हो रहे हैं, उनको खुली आजादी मिल गई है कि जहां चाहे जैसा चाहें डंडा चला दें। अपने लोभ व लाभ के लिए ऐसे बेतुके नोटिस जारी करने वालों पर शिकायत के बावजूद फिलहाल कड़क व सख्त कहे जाने वाले निगम के प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
टेक्स की गणना का फार्मूला वेबसाइट पर क्यों नहीं
टेक्स की गणना का फार्मूला निगम की वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं होने से लोग दुविधा में हैं वे इसकी जद में आते भी हैं या नहीं। टेक्स कितना बन रहा है यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। इसका जो भी नियमानुसार फार्मूला है उसका सरलीकरण करते हुए वेबसाइट पर जारी कर देना चाहिए ताकि लोग खुद डीटेल डाल कर केलकुलेट कर सकें कि वे इस दायरे में आ रहे हैं या नहीं, आ रहे हैं तो कितना टेक्स बन रहा है। यदि बन रहा है तो उसे ऑनलाइन जमा कराने की भी व्यवस्था हाथोंहाथ ही की जानी चाहिए।

Exit mobile version