24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर में तीन साल पहले हुए कन्हैयालाल टेलर की निर्मम हत्या का मामला आज भी न्याय प्रक्रिया में ठप पड़ा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात पर गहरा ऐतराज जताते हुए कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के पास केस होने के बावजूद पिछले छह महीने से सुनवाई तक नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि केस के तीन मुख्य गवाहों के बयान अभी तक दर्ज नहीं हुए हैं, जबकि राजस्थान पुलिस ने घटना के मात्र चार घंटे के भीतर मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। गहलोत का यह भी कहना है कि यदि यह मामला एनआईए के बजाय राजस्थान पुलिस के पास रहता, तो दोषियों को पहले ही सजा मिल चुकी होती। इसके बावजूद, भाजपा ने इस संवेदनशील मामले को चुनावी राजनीति का विषय बनाकर जनता में गलतफहमी और अफवाहें फैलाई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कन्हैयालाल के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा और उनके दोनों पुत्रों को सरकारी नौकरी दी गई है, लेकिन भाजपा ने इस तथ्य को छुपाकर केवल 5 लाख रुपए मुआवजे की राजनीति की है।
एनआईए की विशेष अदालत में यह मामला हत्या, आतंकवादी गतिविधियों, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), आर्म्स एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं के तहत चल रहा है, जिसमें दो आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और दो पाकिस्तानी संदिग्ध फरार बताए गए हैं। इसके अलावा, न्यायाधीश के तबादले के कारण कोर्ट में सुनवाई बाधित हो गई है, जिससे पीड़ित परिवार न्याय के लिए लंबी प्रतीक्षा में है। इस पूरे मामले ने न केवल न्यायिक प्रक्रिया की गति पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच विवाद भी इस घटना को और जटिल बना रहा है। इस स्थिति में पीड़ित परिवार की उम्मीदें टूट रही हैं और न्याय मिलने की प्रक्रिया धुंधली होती जा रही है, जो एक संवेदनशील मामले में न्याय की अनिवार्यता को चुनौती देता है।
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