24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। क्या आप जानते हैं कि जिस स्लीपर बस में आप सफर कर रहे हैं उसके बारे में आरटीओ के पास कोई सूचना ही नहीं है। मोटर वाहन कानून 1989 में वीडियो कोच बसों को पंजीकृत करने का प्रावधान नहीं है। पोस्टल और पार्सल सुविधा उपलब्ध कराने वाली शहर की कोई भी ट्रावेल्स एजेंसी पंजीकृत नही है। यदि नहीं जानते हैं तो इस खबर को ध्यान से पढिये और अपने अधिकारों के प्रति सजग हो जाएं। इन्हीं सवालों को जानने के लिये आरटीआई एक्टिविस्ट जयवंत भैरविया ने आरटीओ से सूचना मांगी तो चौंकाने वाले जवाब मिले।
अक्सर हमें एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिये बस से यात्रा करनी पड़ती है। अलग-अलग ट्रावेल्स एजेंसियों की ओर से साधारण बसों से लेकर वॉल्वो तक चलाई जा रही है। पहले जो बसें चलती थी उनमें केवल बैठने की व्यवस्था होती थी उसके बाद समय समय पर मोडिफिकेशन होते रहे और मोटर बॉडी बनाने वालों ने कई प्रकार के डिजाइन बनाए जिनमें कैप्सूल कोच, वीडियो कोच और वर्तमान में स्लीपर कोच प्रचलित हुए। पहले इन्हें वीडियो कोच बसें कहते हैं क्योंकि बसों में वीडियो चलता था। अब जो बसें चलाई जा रही है उनमें अधिकांश 2 लेयर वाली स्लीपर कोच प्रचलित हैं जिनमे वॉल्वो के अलावा अन्य बसों में लगें पर्दे, सोने बैठने की जगह की साफ सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता जो हमेशा गंदे मैले ही होते हैं। साथ ही बसों में बैठने की जो थोडी बहुत जगह पीछे की और रखी जाती हैं वो भी बहुत कम रखी जाती है। हद तो तब हो जाती है जब इनमें यात्रियों को ठूस ठूस कर भर दिया जाता है जिसकी वजह से अंदर सांस लेना भी मुश्किल सा हो जाता है। बस की छतों पर पार्सल और अन्य ट्रांसपोर्ट में जाने वाला सामान अलग चढ़ा दिया जाता है। कुल मिलाकर बस को इतने सामानों और इंसानों के बोझ से लाद दिया जाता है कि लगता है कि बस कहीं दुर्घटनाग्रस्त न हो जाए। बसों में यात्रा करने वालो के मन मे अक्सर कई सवाल उठते हैं कि बसों में यात्रियों के सफर के लिये क्या कानून और मानक निर्धारित है। बसों में यात्रियों को ठूस ठूस कर भरने , स्लीपर कोच चलाने और ट्रावेल्स एजेंसियों द्वारा बसों के जरिये पार्सल और कोरियर सेवाओ के लिये त्ज्व् ने कोई अनुमति दे रखी है या नही ?, अगर कुछ भी गलत है तो आरटीओ कोई कार्यवाही क्यों नही करता ?
आरटीआई के अंतर्गत माँगी गई सूचना
शहर में मोडिफिकेशन की गई वीडियो कोच बसों की सत्यापित सूचना मय रजिस्ट्रेशन नम्बर प्रदान की जाए। शहर की उन वीडियो कोच बसों की सत्यापित सूचना प्रदान की जाए जिनमें स्लीपर बर्थ अनुमत किये गए है, समस्त सूचना मय रजिस्ट्रेशन नम्बर व जारी की गई परमिट के साथ प्रदान की जाए। शहर की उन ट्रावेल्स एजेंसियों के नाम व पते की सूचना प्रदान की जाए जो पोस्टल व पार्सल सेवाएं प्रदान कर रही है उनकी सम्पूर्ण सूचना लोक सूचना अधिकारी के नाम व पते के साथ प्रदान की जाए।
आरटीओ से मिले जवाब
मोटर वाहन कानून 1989 में वीडियो कोच बसों को पंजीकृत करने का प्रावधान नहीं है। शहर की वीडियो कोच बसों में स्लीपर कोच अनुमत करने की सूचना शून्य है। पोस्टल और पार्सल सुविधा उपलब्ध कराने वाली शहर की कोई भी ट्रावेल्स एजेंसी पंजीकृत नही है। जवाब से यही पता लगता है कि स्लीपर बसों और वीडियो कोच बसों को आरटीओ द्वारा पंजीकृत नहीं किया जाता और न ही इनकी कोई जानकारी विभाग के पास होने के कारण आरटीओ की कोई जिम्मेदारी बनती है ना इन पर कार्यवाही की, सीधा तात्पर्य यही है कि बस संचालकों को खुली छूट है मनमानी की। दुर्घटनाओं के होने पर भी यात्रियों की जान माल भगवान भरोसे ही है।
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