24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। उदयपुर के सूरजपोल चौराहे पर खुद को आग लगाने वाली भावना यादव (35) की सोमवार देर रात मौत हो गई। भावना 80 प्रतिशत झुलस चुकी थी और इलाज के दौरान एमबी हॉस्पिटल में उसकी स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई थी। घटना के पीछे पति के साथ लगातार हो रहे झगड़ों से तंग आना बताया जा रहा है। घटना 25 जनवरी की रात की है। भावना और उसके पति गजेंद्र ने देबारी में रंग-रोगन का काम किया। काम के बाद, सूरजपोल चौराहे पर उतरने के बाद पति ने शराब के लिए पैसे मांगे। बहस के दौरान गजेंद्र ने गाली-गलौज की और भावना को वहीं छोड़कर चला गया। भावना के पास तारपीन का तेल था, जिसका उपयोग रंग-रोगन के लिए होता है। उसने तेल शरीर पर डाल लिया और पास की दुकान से माचिस खरीदकर खुद को आग लगा ली।आग लगने के बाद भावना करीब चार मिनट तक लपटों में घिरी सड़क पर दौड़ती रही। आसपास के लोगों ने उसे बचाने का प्रयास किया। एक युवक ने जैकेट उतारकर आग बुझाने की कोशिश की। करीब 40 मीटर भागने के बाद भावना गिर गई और उसे तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया गया।
इलाज में आईसीयू की कमी
भावना को पहले ही दिन से आईसीयू की जरूरत थी। एमबी हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में जगह न होने के कारण, उसे सामान्य वार्ड में रखा गया। सोमवार रात आईसीयू में बेड खाली होने पर उसे शिफ्ट किया गया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उसकी मौत हो गई। डॉ. मुक्ता सुखाड़िया ने कहा कि “भावना 80 प्रतिशत से अधिक झुलसी हुई थी। इस स्थिति में बचने की संभावना बेहद कम होती है। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।”
भावना की आपबीती
भावना ने कहा, “रोजाना पति से झगड़े और अपमान से तंग आकर मैंने आत्महत्या का कदम उठाया। रोज-रोज मरने से बेहतर है कि एक ही बार मर जाऊं।“ भावना की 7 साल की बेटी है, जिसे उसने पीछे छोड़ दिया। भावना की कहानी घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न का उदाहरण है। इस मामले में पति की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता। भावना यादव की मौत ने घरेलू हिंसा, महिला सशक्तिकरण, और चिकित्सा सेवाओं में सुधार की आवश्यकता पर सवाल खड़े किए हैं। उसकी मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज के व्यापक मुद्दों की ओर इशारा करती है। मामले में पति की जिम्मेदारी और अस्पताल की व्यवस्थाओं की जांच करना जरूरी है।
उदयपुर में खुद को आग लगाने वाली महिला की मौत

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