24 न्यूज़ अपडेट बांसवाड़ा। नैसर्गिक सौंदर्य और शिल्प वैशिष्ट्य की धरा बांसवाड़ा जिले के पर्यटन को पर लगने वाले हैं। हाल ही में बांसवाड़ा जिले के पर्यटन में वेब जीआईएस की भूमिका पर एक शोध पीयर रिव्यू जर्नल में प्रकाशित हुआ है,जो राजस्थान पर्यटन पर केंद्रित शोध के संबंध में अपनी तरह का पहला प्रयास है। इस शोध के बाद अब बांसवाड़ा आने वाले पर्यटक जल्द ही अपने मोबाइल फोन पर एंड्रॉयड ऐप का उपयोग करके पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

समन्वित प्रयासों से तैयार हुआ एप: 

यह वेब मैप एप्लीकेशन जीआईएस तकनीक का उपयोग करके महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय बड़ौदा गुजरात के भूगोल विभाग के पीएचडी शोधकर्ता विरांच दवे और सहायक प्रोफेसर डॉ. मुदित मांकड़ द्वारा बनाया गया है। यह शोध कार्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा के मार्गदर्शन में किया गया है। विरांच ने बताया कि बांसवाड़ा में पर्यटन विकास की प्रबलतम संभावनाओं को तलाशते हुए और पर्यटन में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका को देखकर यह एप तैयार किया गया है। दो वर्षों के इस श्रमसाध्य कार्य में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के भूगोल विभाग के कुछ शोधकर्ताओं ने बांसवाड़ा में थीम आधारित नए पर्यटन सर्किट की खोज की है। इस शोध कार्य से बांसवाड़ा के पर्यटन दृष्टि से विकास की संभावनाओं को देखते हुए विस्तृत शोध कर एप को तैयार किया है।

जीआईएस तकनीक बनी मददगार :

शहर के नागर वाड़ा निवासी प्रतिभावान युवा और विश्वविद्यालय के शोधार्थी विरांच दवे द्वारा किए गए इस शोध में बांसवाड़ा जिले में पर्यटन सर्किट की पहचान करने के लिए जीआईएस तकनीक का उपयोग किया है। इस अध्ययन को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया है। दवे ने बताया कि आईसीएसएसआर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक संस्था है जो देश में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की देखरेख करती है।

इस अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि बांसवाड़ा जिले में विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक,ऐतिहासिक और प्रकृति-आधारित स्थल जो विभिन्न प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बांसवाड़ा के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों और इसके पहुंच घटक को दिखाने के लिए जीआईएस का उपयोग करके मानचित्र बनाए। यह अध्ययन भविष्य में बांसवाड़ा पर्यटन पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है। इस शोध कार्य में एमएस विश्वविद्यालय के प्रो.मुदित मानकड़ और प्रो.अमि रावल ने सहयोग किया है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुआ शोध :

दवे ने बताया कि विश्वविद्यालय का यह शोध कार्य प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन ‘जर्नल ऑफ टूरिज्म इनसाइट्स’ में प्रकाशित हुआ है और यह आनलाईन उपलब्ध भी है, ऐसे में इस शोध कार्य को कोई भी व्यक्ति निःशुल्क ऑनलाइन पढ़ सकता है।

दो पर्यटन सर्किट से मिलेगी पहचान :

बांसवाड़ा जिले के वर्तमान सड़क नेटवर्क के आधार पर अध्ययन ने दो महत्वपूर्ण पर्यटन सर्किट जैसे  माही नदी सर्किट और धार्मिक ऐतिहासिक सर्किट डिजाइन किए हैं। माही नदी सर्किट में माही नदी द्वारा बनाए गए सुंदर प्राकृतिक स्थल शामिल हैं जबकि धार्मिक ऐतिहासिक सर्किट में बांसवाड़ा जिले की सांस्कृतिक महिमा को दर्शाने वाले स्थल शामिल हैं। माही नदी सर्किट में कडेलिया वॉटरफॉल, चाचा कोटा, माहीडेम, जगमेरू हिल और कागदी को सम्मिलित किया गया है वहीं धार्मिक—ऐतिहासिक सर्किट में तलवाड़ा, त्रिपुरा सुंदरी, रामकुंड, भीमकुंड, पाराहेड़ा, अर्थुना, मानगढ़, नंदनी माता, ब्रह्मा जी और शहर के प्रमुख स्थानों को लिया गया है।  


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By desk 24newsupdate

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