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कुत्तों को गोली मारने वाले की जमानत हुई तो निकली डीजे, रैली और लड्डू बांटकर स्वागत

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24 न्यूज अपडेट, झुंझुनूं। ज़िले के कुमावास गांव में 25 कुत्तों को गोली मारने के आरोप में जेल भेजे गए श्योचंद बावरिया को जमानत मिलने के बाद गांव में उसका जोरदार स्वागत किया गया। शुक्रवार शाम जैसे ही वह जमानत पर छूटकर गांव लौटा, ग्रामीणों ने डीजे बजाकर रैली निकाली, उसे माला पहनाई और पिकअप पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया।
रैली के दौरान बस स्टैंड से गुजर रही बस को भी ग्रामीणों ने रुकवाया और उसमें बैठे यात्रियों को लड्डू बांटकर खुशी जाहिर की। स्वागत सत्कार के दौरान श्योचंद हाथ जोड़कर बार-बार ग्रामीणों का अभिवादन करता रहा। इस पूरे आयोजन का वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। कई यूजर्स ने इसे “अपराध का महिमामंडन” बताया और सवाल उठाया कि “आज कुत्तों का कातिल हीरो है, तो कल इंसानों का हत्यारा भी ऐसे ही सम्मानित होगा क्या?”

पशु प्रेमियों का गुस्सा
झुंझुनूं और आसपास सक्रिय पशु प्रेमी संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि सरकार जहां पशु संरक्षण पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं आरोपी का सम्मान करना कानून और न्याय दोनों का मजाक है। उन्होंने कहा कि पशु क्रूरता अधिनियम 1960 और आईपीसी की धारा 429 के तहत जानवरों की हत्या गंभीर अपराध है, जिसमें सजा और जुर्माने का प्रावधान है। 2 अगस्त को कुमावास गांव के श्योचंद बावरिया (50) पुत्र सुरजाराम बावरिया ने हाथ में टोपीदार बंदूक लेकर दौड़ा-दौड़ाकर 25 कुत्तों की हत्या कर दी थी। वह अपने साथियों के साथ बाइक पर बैठकर कुत्तों का पीछा करता और उन्हें गोली मारता रहा। घटना के बाद गांव में जगह-जगह खून से लथपथ कुत्तों के शव पड़े मिले। 4 अगस्त को घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद गांव की पूर्व सरपंच सरोज झांझड़िया ने एसपी को शिकायत दी। पुलिस ने 18 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया और 22 अगस्त को उसे जमानत मिल गई।

दो पक्षों के अलग-अलग बयान
श्योचंद और ग्रामीणों का दावा : गांव में कुत्ते बकरियों और मवेशियों पर हमला कर रहे थे और बच्चों-बुजुर्गों को भी निशाना बना रहे थे। इसी गुस्से में श्योचंद ने कुत्तों को मार डाला। पूर्व सरपंच सरोज झांझड़िया का आरोप : यह दावा झूठा है। न कुत्तों ने बकरियों को मारा और न ही किसी पर हमला किया। श्योचंद और उसके साथी झूठा बहाना बनाकर मुआवजे की मांग करना चाहते थे।

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