24 News Update उदयपुर। गिरवा ब्लॉक स्तरीय प्रधानाचार्य वाक पीठ में आयोजित कार्यक्रम में वाटर हीरो एवं जल मित्र वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पी.सी. जैन ने कहा कि जल संरक्षण पर चर्चाएं तो अक्सर एनजीओ द्वारा रैली, नाटक, पोस्टर और नारों के रूप में होती रहती हैं, लेकिन वास्तविक संरक्षण बहुत कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी अधिकतम वर्षा का “अमृत जल” नालियों में व्यर्थ बह रहा है, जबकि रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग से इसे संरक्षित करना बेहद आसान और सस्ता उपाय है।
कार्यक्रम की शुरुआत जल कलश पूजन से हुई। इसके बाद सेवानिवृत्त कमिश्नर एम. मोहन राव द्वारा प्रस्तुत गीत “जल ही जीवन है, आज नहीं तो कल जाएगा, जल बिन जीवन जल जाएगा” ने सभी को भावविभोर कर दिया।
डॉ. जैन ने वर्षा जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमने घर और बाहर जमीन में जल रिसाव के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं, जिससे भूजल स्तर लगातार घट रहा है। उन्होंने शिक्षकों द्वारा लाए गए पानी के नमूनों की टीडीएस जांच कर उन्हें उपयुक्त जल स्तर की जानकारी दी।
अपने अस्पताल में बनाए गए मॉडल की मदद से उन्होंने रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया को सरल तरीके से समझाया। इसके साथ ही उन्होंने वर्षा जल संरक्षण की सफल कहानियां साझा करते हुए सभी से अपील की कि वे अपने-अपने स्कूल की छत का वर्षा जल व्यर्थ न जाने दें और हैंडपंप या ट्यूबवेल से भूमि जल रिचार्ज करें।
प्रस्तुतिकरण (पीपीटी) में उन्होंने “अदृश्य जल” की अवधारणा समझाई, जिसमें कपड़े बनाने, अनाज उगाने और स्मार्टफोन तैयार करने में अत्यधिक जल खपत होती है। उन्होंने कहा कि अनावश्यक खरीदारी जल का अप्रत्यक्ष दुरुपयोग है। कार्यक्रम के अंत में जल गीत और जल नृत्य का आयोजन भी हुआ, जिसमें श्रीमती मनीषा जोशी, तरुण प्रभा शर्मा, आशा सोनी, ललिता मीणा और मंजु श्रीमाली ने भाग लिया।
डॉ. जैन ने सभी से अपील करते हुए संकल्प करवाया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को अपनाकर समाज और विद्यार्थियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करे। उन्होंने भारत के नक्शे के माध्यम से बताया कि राजस्थान में जल दोहन 148 प्रतिशत है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है। कार्यक्रम में डॉ. पी.सी. जैन का स्वागत ऋचा रूपल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन दुर्गेश मेनारिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर सीबीईओ दुर्गेश मेनारिया, देशपाल सिंह शेखावत, ललित दक, मोहन मेघवाल, राकेश मेनारिया, करण सिंह चुंडावत, पुष्पेंद्र सिंह, दिलीप जैन, मंगल जैन और जगदीश चौबीसा सहित अनेक शिक्षक और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
जल संरक्षण केवल चर्चा नहीं, व्यवहार में भी करें : डॉ. पी.सी. जैन

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