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विद्यापीठ – महामना मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय पत्रकारिता रत्न सम्मान समारोह : अभिषेक श्रीवास्तव को ‘‘महामना मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय पत्रकारिता रत्न सम्मान’’ से नवाजा

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24 News Update उदयपुर. जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से शनिवार को प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में आयोजित महामना मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय पत्रकारिता रत्न सम्मान समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा, कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, राजस्थान पत्रिका के सम्पादक अभिषेक श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखीय कार्य करने, उदयपुर शहर की झीलों के संरक्षण एवं पर्वतों की वेदना को अपनी लेखनी के माध्यम से आमजन तक पहुंचाने व इनके प्रति जागरूक करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, राजस्थान पत्रिका के सम्पादक अभिषेक श्रीवास्तव को ‘‘महामना मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय पत्रकारिता रत्न सम्मान’’ से नवाजा गया, जिसके तहत अतिथियों द्वारा श्रीवास्तव का पगड़ी, उपरणा, शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
पत्रकार की कलम लोकतंत्र का साज भी है, आवाज भी है – प्रो. सारंगदेवोत
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि “जीवन में अच्छा-बुरा बनना, स्वभाव को ढालना प्रकृति और नेतृत्व पर निर्भर करता है। पत्रकारिता में बिना किसी को आहत किए समाज के नियमों का पालन करवाना एक बड़ा चैलेंज है। सत्य के साथ चलना ही पत्रकारिता की आत्मा है। अन्याय को नजरअंदाज करना भी अत्याचारी का साथ देना ही है। सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस होना चाहिए।”
“मीडिया न केवल यथार्थ सूचना देता है, बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण से समाज का मार्गदर्शन करता है। पत्रकार समाचार को गहन विचारों से शब्द, चित्र और ध्वनि में पिरोते हैं। कलम ताकत भी है और आफत भी, लेकिन लोकतंत्र की सजगता भी। पत्रकार लोकतंत्र को मजबूती देते हैं। आज भी सत्य की किरण पत्रकारों के पास है। पत्रकार गीता के सार को जीवन में चरितार्थ करते हैं।”
“नई शिक्षा नीति के अनुसार हो पाठ्यक्रम“ – प्रो. सुनीता मिश्रा
मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता मिश्रा ने शिक्षा के क्षेत्र में पत्रकारिता की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि “हर विश्वविद्यालय का अपना एक अकादमिक पेटेंट होना चाहिए। शिक्षा का फोकस हमेशा छात्र-केंद्रित रहना चाहिए। नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षण कार्य और पाठ्यक्रमों का निर्माण आवश्यक है। पत्रकार भी सामाजिक ज्ञान और जागरूकता के माध्यम बनते हैं।” उन्होंने कहा कि आमजन को जागरूक करने का जिम्मा शिक्षकों पर है। शिक्षक ही विद्यार्थी के माता-पिता होते हैं और वे देश की भावी पीढ़ी को दिशा देने का कार्य करते हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के योगदान में पंडित मदन मोहन मालवीय का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
“सम्मान पाना बड़ी बात नहीं है, बल्कि उसकी रक्षा करना उससे भी बड़ी जिम्मेदारी” – अभिषेक श्रीवास्तव
सम्मान प्राप्त करते हुए अभिषेक श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि “सम्मान पाना बड़ी बात नहीं है, बल्कि उसकी रक्षा करना उससे भी बड़ी जिम्मेदारी होती है। पत्रकार सफेद शर्ट पहनकर काजल की कोठरी में जाते हैं, उनकी पीड़ा को कोई नहीं समझता। वे दिन-रात पत्रकारिता के लिए समर्पित रहते हैं।”
“प्रिंट मीडिया की सबसे बड़ी पूंजी विश्वसनीयता होती है, एक बार छपी खबर को मिटाया नहीं जा सकता। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं है, क्योंकि स्तंभ तो तीन ही हैं। हम वॉचडॉग हैं। जब हम खुद को स्तंभ मानने लगते हैं, वहीं से गिरावट शुरू होती है।”
“राजस्थान पत्रिका ने हमेशा गलत का विरोध किया है। अरावली संरक्षण को लेकर हमने अभियान चलाया। खबरों के माध्यम से जब हाईकोर्ट तक मुद्दा पहुंचा तो अदालत ने पहली ही सुनवाई में रोक लगा दी। आगे कई प्रोजेक्ट रिजेक्ट हुए और नई हिल पॉलिसी बनी। कोर्ट ने हमारे काम की प्रशंसा की। हमने कभी पीछे नहीं हटे, यही पत्रकारिता है।” “पत्रिका का मतलब है 360 डिग्री खबरों की पड़ताल, और हमने यह जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई है।”
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा: “अभिषेक श्रीवास्तव के प्रयासों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि आज पग-पग पर कठिन परिस्थितियों में आपने जिस प्रकार पत्रकारिता की अलख जगाई, वह अपने आप में अनूठी है। आपके जैसे संपादक की लेखनी ने अरावली संरक्षण में जो भूमिका निभाई, वह इतिहास में दर्ज होगी। यह सम्मान देकर हम स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।” इस अवसर पर पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. अमी राठौड़, प्रो. आई.जे. माथुर, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. बबीता रशीद, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. संतोष लाम्बा, डॉ. शिल्पा कंठालिया, डॉ. नवीन विश्नोई, डॉ. एजाज, डॉ. अजीता रानी, डॉ. निवेदिता, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, निजी सचिव के.के. कुमावत, जितेन्द्र सिंह, डॉ. सौरभ सिंह सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया जबकि आभार डॉ. तरुण श्रीमाली ने जताया। यह जानकारी निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत ने दी।

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