24 News Update उदयपुर। क्या उदयपुर का यूडीए व उसके अफसर केवल खास लॉबी के लिए काम करते हैं। क्या उनके हितों से अफसरों के आर्थिक हित भी तो नहीं जुड़ गए हैं। क्या यूडीए के अफसर जनता के टेक्स के पैसों से तनख्वाह लेकर सेवा केवल अपने खास जमीन माफियाओं या खास राजनेताओं की लॉबी की ही करते हैं? यही नहीं वे उन सभी दस्तावेजों की यूडीए में चौकीदारी भी करते हैं जिनसे कहीं न कहीं घपले की बू आती है या फिर कोई बड़ा राजफाश होने की संभावनाएं बन जाती हैं। इसके लिए वे अपने सरकारी कर्तव्य से परे जाकर भी खासमखास को सेवाएं देने को तैयार रहते हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यूडीए के अफसर आरटीआई में सूचना देने में ना सिर्फ आनाकानी कर रहे हैं बल्कि मांगी गई सूचना को ही सूचना के रूप में देकर कानून का मजाक बना रहे हैं। उनकी यह मनमानी उन पर कानूनी रूप से कभी भी भारी पड़ सकती है।
पत्रकार और देश के जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट जयवंत भैरविया ने उदयपुर विकास प्राधिकरण से अमरजोक नदी पेटे में 50 से 60 फीट चौड़ी का सड़क निर्माण, अवैध निर्माण व यूडीए की जमीनों पर अवैध कब्जों पर यूडीए से अहम जानकारियों की मांग, लेकिन जवाब में यूडीए ने केवल उनके आवेदन की कॉपी पेस्ट करके थमा दी।
भैरविया ने सूचना में छह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जवाब मांगा जो होटल ताज अरावली और आसपास की सरकारी संपत्तियों से संबंधित हैं।
भैरविया ने पूछा कि – कोडियात टनल तक सड़क निर्माण, एस्टीमेट, टेंडर, वर्क ऑर्डर और पेमेंट की जानकारी दी जाए। यूडीए के स्वामित्व वाली जमीन का खसरा नंबर, जो होटल ताज अरावली के परिसर से लगती है। होटल की सीवर लाइन अमरजोक नदी में डालने की स्वीकृति। सरकारी भूमि पर होटल द्वारा किए गए अतिक्रमण पर यूडीए की कार्रवाई। अमरजोक नदी पर बनाई गई पुलिया का टेंडर, वर्क ऑर्डर और पेमेंट। ग्राम बुझड़ा के ग्रामीणों को ताज अरावली के बाहर से जाने आने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश संबंधी सूचना मांगी गई।
भैरविया ने बताया कि यूडीए ने बदले में केवल आवेदन की कॉपी थमा दी। इस मामले को उन्होंने अब राज्य सूचना आयोग में ले जाने की बात कही है। सूचना में नदी पेटे में व सरकारी भूमि पर निर्माण से जुड़े कई गंभीर सवाल उठ रहे है। इस मामले में यूडीए अफसरों की मिलीभगत भी गंभीर सवाल हैं।
इस घपले की है संभावना
होटल ताज अरावली ने बूझड़ा गांव में कोड़ियात टनल तक नदी में भराव डालकर पक्की सड़क बना दी है जो हाईकोर्ट के आदेशों का सीधा सीधा उल्लंघन है। यहां तक कि कोड़ियात टनल के उपर पहाड़ी काटकर भी निर्माण चल रहा है। सड़क रातों रात नहीं बन गई। इस पर बकायदा डामरीकण हुआ है। ऐसे में यूडीए के अफसरों व स्थानीय नेताओं की मिलीभगत साफ दिख रही है। शिकायत के बाद भी पूरा सिस्टम होटल को बचाने में लगा है।
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