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उदयपुर: लिफ्ट बनी मौत का कुआँ! ढाई घंटे तक दीवार में कैद रही माँ, बेटे का आई-कार्ड पहुँचाने गई थी

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उदयपुर | मंगलवार सुबह 8:20 बजे। न्यू आरटीओ ऑफिस के ठीक सामने स्थित लग्जरी अपार्टमेंट ‘अमर विलास’ में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक लिफ्ट अचानक पागल हो गई। छठी मंजिल पर रहने वाली भाग्यश्री अपने बेटे का स्कूल आई-कार्ड पहुँचाने नीचे जा रही थीं। जैसे ही लिफ्ट ने ग्राउंड फ्लोर का बटन लिया, अचानक वो रॉकेट की स्पीड से ऊपर की ओर दौड़ पड़ी और सातवीं मंजिल की छत पर जाकर दीवार से जोरदार टक्कर मार दी!अंदर का मंजर था खौफनाक टक्कर होते ही लिफ्ट की लाइटें फट गईं, धूल का गुबार छा गया, केबिन का सामान टूटकर भाग्यश्री पर गिर पड़ा। लिफ्ट छत और दीवार के बीच बुरी तरह फंस गई। बाहर से देखने पर तो बस दीवार ही दीवार थी – लिफ्ट का कोई नामोनिशान नहीं।

भाग्यश्री ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया, लेकिन सातवीं मंजिल की छत पर उस वक्त कोई था ही नहीं। करीब ढाई घंटे तक वो अकेली, अंधेरे में, घायल हालत में फंसी रहीं।

नौकरानी बनी फरिश्ता सुबह करीब 10 बजे छठी मंजिल पर काम कर रही एक नौकरानी को हल्की-हल्की चीखें सुनाई दीं। उसने तुरंत सोसाइटी वालों को इकट्ठा किया। भीड़ जमा हुई, लेकिन किसी को समझ नहीं आ रहा था कि महिला कहाँ है। आखिरकार किसी ने सुझाया – छत पर चलो!

छत पर पहुँचे तो सामने थी सिर्फ दीवार। अंदर से भाग्यश्री की कमजोर आवाज आ रही थी – “बचाओ… मुझे बाहर निकालो…” तुरंत ड्रिल मशीन मंगाई गई। आवाज के आधार पर दीवार में छेद किया गया। करीब 20 मिनट की जद्दोजहद के बाद सुबह 10:35 बजे भाग्यश्री को जिंदा बाहर निकाला गया।

डर के वो पल… खुद भाग्यश्री ने बताया “मुझे लगा आज यहीं दम तोड़ दूँगी। चारों तरफ अंधेरा, धूल, टूटा सामान… मैं बार-बार चिल्लाती रही, लेकिन कोई सुन नहीं रहा था। बेटे का चेहरा याद आ रहा था।”

फिलहाल भाग्यश्री को हल्की चोटें आई हैं, डॉक्टरी जाँच के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है। सोसाइटी प्रशासन ने लिफ्ट कंपनी को नोटिस थमा दिया है। पुलिस ने भी मामला दर्ज कर लिया है।

एक आई-कार्ड पहुँचाने निकली माँ की जिंदगी पर बन आई थी – बस एक खराब लिफ्ट की वजह से!

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