
24 News Update उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक मत्स्यकी महाविद्यालय परिवार की ओर से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक एवं प्रख्यात मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. एस. अय्यप्पन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। डॉ. अय्यप्पन का हाल ही में कावेरी नदी में जल दुर्घटना में निधन हो गया। वे 7 मई 2025 को हमेशा की तरह ध्यान-अर्चना के लिए अपने घर से निकले थे और 10 मई को श्रीरंगपटना, मैसूर में उनका शव बरामद हुआ। इस घटना की जांच की जा रही है।
विनम्र और दूरदर्शी वैज्ञानिक
डॉ. अय्यप्पन एक अत्यंत विनम्र, दूरदर्शी और परिश्रमी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न उच्च पदों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। ICAR के महानिदेशक का पद संभालने से पहले वे केंद्रीय मत्स्यकी शिक्षण संस्थान, मुंबई, केंद्रीय मीठा जल कृषि संस्थान, भुवनेश्वर, नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड और नाबार्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शीर्ष पदों पर कार्यरत रहे।
मत्स्यकी शिक्षा में अभूतपूर्व योगदान
डॉ. अय्यप्पन का मत्स्यकी शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान अभूतपूर्व रहा। उन्होंने भारत की “नीली क्रांति” को बढ़ावा देने और जलीय कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इम्फाल स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे और कई महत्वपूर्ण संस्थानों के निर्माण और पोषण में सक्रिय भूमिका निभाई। उदयपुर स्थित मत्स्यकी महाविद्यालय से डॉ. अय्यप्पन का विशेष लगाव रहा। उन्होंने कई बार उदयपुर प्रवास के दौरान महाविद्यालय के प्राध्यापकों के साथ विषय संबंधी परिचर्चाएं आयोजित की।
पुष्पांजलि सभा
इस अवसर पर मत्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर. ए. कौशिक, पूर्व अधिष्ठाता डॉ. एल. एल. शर्मा, छत्तीसगढ़ मत्स्यकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. एच. के. वर्डिया, प्राध्यापक डॉ. एम. एल. ओझा, डॉ. शाहिदा जयपुरी और अन्य सह-शैक्षणिक कर्मचारियों ने डॉ. अय्यप्पन को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।डॉ. अय्यप्पन ने 2016 तक ICAR के प्रमुख के रूप में कार्य किया। उन्हें 2013 में कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार और 2022 में विज्ञान और इंजीनियरिंग में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने दिल्ली, मुंबई, भोपाल, बैरकपुर, भुवनेश्वर और बेंगलुरु में ICAR के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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