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तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन, ‘‘थ्री एम‘‘ फसल प्रणाली से होगा अन्नदाता का उद्धार – डॉ. अग्रवाल

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24 News Update उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एन्टोमोलॉजिकल रिसर्च एसोसियेशन एवं क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “बदलते कृषि परिदृश्य में सतत् पौध संरक्षण की उन्नति” विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शनिवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में समापन हुआ। सम्मेलन में देश के 18 राज्यों से 400 से अधिक कृषि वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कृषि उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए समाजसेवी, उद्यमी एवं धानुका एग्रीटेक के अध्यक्ष डॉ. आर. जी. अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा दौर में थ्री एम (मेज, मस्टर्ड और मूंग) फसल प्रणाली अपनाकर किसानों की आर्थिक उन्नति सुनिश्चित की जा सकती है। एक ही जमीन पर वर्षभर में तीन फसलें उगाने से फसल विविधिकरण, बेहतर भूमि उपयोग, किसानों की आय में वृद्धि और पोषण सुरक्षा संभव होगी। यह पद्धति पारंपरिक एकल फसल की तुलना में अधिक टिकाऊ सिद्ध होगी।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश का किसान एक हैक्टेयर से जितना कमाता है, उतना ही क्षेत्रफल का किसान चीन में तीन गुना कमाता है। वैज्ञानिकों को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा ताकि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने किसानों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें अक्सर उच्च गुणवत्ता वाले बीज, पौध संरक्षण तकनीक, ग्रामीण ढाँचे और बाजार में मिलावट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस अवसर पर धानुका कंपनी द्वारा तैयार “जागो किसान जागो” जागरूकता वीडियो भी प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने की। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत निष्कर्षों एवं सिफारिशों को देशभर के 74 कृषि विश्वविद्यालयों, किसानों एवं नीति-निर्माताओं तक पहुँचाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि वैज्ञानिकों ने तीन दिनों तक विभिन्न तकनीकी सत्रों में पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों, समेकित दृष्टिकोणों और वैज्ञानिक हस्तक्षेपों की महत्ता पर गहन चर्चा की। मुख्य आयोजन सचिव एवं अधिष्ठाता डॉ. मनोज कुमार महला ने बताया कि सम्मेलन में 7 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें जैव-प्रणाली, उभरते और आक्रामक जीव, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, सतत पौध संरक्षण के लिए आईपीएम दृष्टिकोण, कीटों की पारिस्थितिकी और प्रबंधन में नई खोजों जैसे विषयों पर 93 शोधपत्र वाचित किए गए।
सम्मेलन में ‘मेजमैन’ के नाम से विख्यात वैज्ञानिक डॉ. साई दास, डॉ. एस. सी. भारद्वाज, डॉ. पी. के. चक्रवर्ती, डॉ. के. एल. गुर्जर और डॉ. ऊमाशंकर शर्मा सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी संबोधन किया और खुली चर्चा में भाग लिया।
समापन सत्र में पौध संरक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए कुल 76 पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें डॉ. श्रवण एम. हलधर को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ कीट विज्ञानी पुरस्कार, डॉ. एस. के. सक्सेना को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार, डॉ. श्रीनिवासन को युवा शोधकर्ता पुरस्कार, डॉ. बीरेंद्र सिंह को उत्कृष्ट पीएच.डी. थीसिस पुरस्कार, डॉ. सचिन महादेव चव्हाण को युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. के. वनिता को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. ट्विंकल को युवा महिला वैज्ञानिक पुरस्कार तथा डॉ. सुरेश कुमार को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पादप रोग विज्ञानी पुरस्कार शामिल रहे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नारायण लाल डांगी ने प्रस्तुत किया।

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