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महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 18 से, सतत पौध संरक्षण व कीट प्रबंधन पर डॉ एम एल नागदा सहित देशभर के विशेषज्ञ करेंगे गहन विचार-विमर्श

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24 News Update उदयपुर । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में 18 से 20 सितंबर, 2025 को तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह राष्ट्रीय सम्मेलन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एन्टोमोलोजिकल रिसर्च एसोसिएशन, और क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है।
सम्मेलन में देशभर से लगभग 350 कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और उद्योग प्रतिनिधि भाग लेंगे। प्रमुख कृषि रसायन निर्माता एवं विपणन कंपनियों के प्रतिनिधि भी सम्मेलन में शामिल होंगे, जिनमें शामिल हैं:
पेस्टीसाईड्स इंडिया यूपीएल (UPL) एरिस्टो बायोटेक लिमिटेड धानुका एग्रीटेक सिन्जेन्टा सूमिटोमो इंडोफील किस्टल कॉप केयर बायर घरडा केमिकल्स बेस्ट एग्रो.
डॉ एम एल नागदा ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वर्तमान कृषि परिदृश्य में सतत पौध संरक्षण, एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) और मेक इन इंडिया अभियान के तहत कृषि रसायनों के नवाचार पर गहन विचार-विमर्श करना है। डॉ नागदा ने बताया कि सतत खेती केवल एक अवधारणा नहीं, बल्कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य, आर्थिक व्यवहार्यता और सामाजिक समानता का संतुलन बनाकर भविष्य की पीढ़ियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का माध्यम है। उन्होंने विशेष रूप से संतुलित रसायनों के विवेकपूर्ण उपयोग, जैव कीटनाशकों का महत्व, डिजिटल सलाहकार सेवाओं का समावेश और पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशकों पर भी प्रकाश डाला।
सम्मेलन में यह भी बताया जाएगा कि कैसे भारत में 2050 तक जनसंख्या बढ़कर 1.7 अरब हो जाएगी, जिससे खाद्यान्न उत्पादन में भारी वृद्धि आवश्यक होगी। वहीं, सीमित कृषि योग्य भूमि, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते कीट संक्रमण से निपटने के लिए नवाचार व सतत तकनीकों का एकीकरण आवश्यक है।

विशेष रूप से डॉ एम एल नागदा ने भारत की कृषि प्रणाली में बदलाव लाने के लिए आईपीएम, जैव-कीटनाशकों, क्रिस्पर-संपादित फसलें, स्मार्ट ट्रैप, ड्रोन व आईओटी आधारित समाधान अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।

सम्मेलन में नीति निर्धारक, वैज्ञानिक, उद्योग विशेषज्ञ, कृषक संगठनों के प्रतिनिधि एवं शोधकर्ता मिलकर कृषि क्षेत्र में नवाचार, गुणवत्ता मानक, किसान प्रशिक्षण और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण पहल करेंगे।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन भारत के कृषि रसायन उद्योग के विकास में आत्मनिर्भरता के नए आयाम स्थापित करने का प्रमुख मंच साबित होगा।

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