24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। पुलिस में परिवाद दिए महीनों बीत गए, ना तो कोई सुनवाई हुई, ना किसी का फोन आया। ना हमको बुलाया ना ही कोई राहत दी। विश्वविद्यालय में भी पीड़ा बताई लेकिन 9 महीने से वेतन को तरस रहे हैं। अवकाश प्राप्त वीसी प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने प्रताड़ित किया, अभद्र भाषा का प्रयोग किया, हमने शिकायत की मगर कहीं कोई सुनने तक को तैयार नहीं है। यहां तक कि राज्यपाल महोदय आपश्री को ज्ञापन देने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके साथ ही एसएफएबी के कर्मचारियों को हर महीने वेतन के लिए तरसाया जा रहा है। जान बूझकर ऐसी हड़ताल की नौबत लाई जा रही है। आखिर यह सब कब तक चलेगा। हमें न्याय कब मिलेगा। यह पीड़ा आज राजस्थान के राज्यपाल हरिभाउ किसनराव बागड़े के समक्ष मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की एसएफएबी महिला कर्मचारियों व प्रतिनिधिमंडल ने व्यक्त की।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागडे़ से मिलकर संगठन की पांच सूत्री मांगों और दोनों महिला कर्मचारीयों को न्याय दिलाने की गुहार लगाई।
अध्यक्ष नारायण लाल सालवी ने बताया कि कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागडे़ के उदयपुर प्रवास के दौरान संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल को उनसे सर्किट हाऊस में मिलने का समय दिया गया। मुलाकात के दौरान श्रीमती किरण तंवर और श्रीमती बेबी गमेती की पीड़ा को माननीय राज्यपाल महोदय ने बहुत ही इत्मीनान से सुना और श्रीमती किरण तंवर को आज ही 9 माह से बकाया वेतन को दिलाने का आदेश जारी करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे कामचलाउ वीसी प्रोफेसर कर्नाटक से से वे आज ही इस बारे में बात करेंगे।
इसके अलावा दोनों महिलाओं ने कुलाधिपति को यह भी बताया कि उनके द्वारा प्रतापनगर थाने में दिए परिवाद की अभी तक एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई है। इसके लिए कुलाधिपति ने अधिकारियों को वस्तु स्थिति पता लगाने के लिए कहा और त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया। संगठन की पांच सूत्री मांगों के लिए उन्होंने कुलगुरु प्रोफेसर अजीत कुमार कर्नाटक से बात करके जल्दी ही समाधान करवाने के लिए कहा है। संगठन के प्रतिनिधि मंडल मै अध्यक्ष नारायण लाल सालवी, श्रीमती किरण तंवर, श्रीमती बेबी गमेती, अजय आदिवाल, हितेश आदि उपस्थित थे।
आखिर किसका है दबाव, क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई
विश्वविद्यालय की दो महिला कर्मचारियों को जो एसएफएबी बोर्ड के तहत कार्यरत हैं, उनको आखिर बिना किसी लिखित आदेश के केवल मौखिक रूप से ही आदेश देते हुए वीसी प्रोफेसर सुनीता मिश्रा के बंगले पर क्यों भेजा गया। उन्हें भेजने वाले, उनसे सेवाएं लेने वाली वीसी व अन्य पर कार्रवाई कब होगी। इसके लिए सुविवि में कोई भी कमेटी का अब तक गठन नहीं किया गया है। एसएफएबी कर्मचारियों ने लगातार अपनी मांग और पुलिस कार्रवाई करते हुए दबाव मगर आज तक कहीं सुनवाई नहीं हुई। पुलिस लंबे समय से परिवाद लेकर खामोशी बैठी है। यहां तक कि दोनों को बुलाकर पूछा भी नहीं गया है कि घटना क्या हुई थी। कहीं ऐसा तो नहीं कि जांच होते ही किसी ऐसे व्यक्ति के फंसने का अंदेशा हो जो बहुत बड़े जेक जरिये की वजह से उदयपुर में कार्य कर रहा है। इसका खुलासा होना चाहिए कि पुलिस पर क्या दबाव है कि परिवाद देने के बाद ओैर एसपी के समक्ष पेश होने के बाद भी इस मामले में एक कदम भी जांच आगे नहीं गई है। जबकि खुद राज्यपाल पिछली बार व इस बार भी कह चुके हैं कि वे खुद मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। जब माननीय राज्यपाल मॉनिटरिंग कर रहे हैं तो फिर जांच किसकी, कहां व कौन कर रहा है। इसके अलावा एसएफएबी कर्मचारियों को हर महीने वेतन के लिए तरसाना भी अमानवीय हैं। इसके लिए दोषियों को भी तुरंत पहचान कर उचित पनिशमेंट मिलना चाहिए मगर सुविवि में राजनीतिक दखल, उपर तक मिलीभगत व घालमेल के चलते ऐसा नहीं हो रहा है। हर महीने वेतन के लिए एसएफएबी को तरसा कर हड़ताल के लिए उकसाया जाता है। उसके बाद जब स्ट्राइक होती है तो उन्हें उल्टा दोषी करार दिया जात है। उनका वेतन काट लिया जाता है। इसकी जांच के लिए भी कोई कमेटी नहीं बनी है। अब मामला जब राज्यपाल महोदय के पास गया है तो कुछ कार्रवाई की उम्मीद बंधी है मगर पूर्ण विश्वास अब भी कार्मिकों को नहीं है क्योंकि पिछले ज्ञापन में भी वहीं सब बातें लिखीं व कहीं गईं थी। उसके इतने दिन बाद भी कुछ क्यों नहीं हुआ?????
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