24 News Update उदयपुर। सरकार डबल इंजन की है और उसको चलाने वाली युवा शक्ति वाला एक प्रमुख घटक एबीवीपी भाजपा सरकार से नाराज हो गया है। कुलगुरू मुद्दे पर जयपुर में सरकारी के उच्च स्तर पर बैठे मंत्री तक मैनेज होकर बयान साफ्ट करते दिखाई दे रहे हैं। लगता है उन पर किसी का दबाव है और बयान वे खुद नहीं दे रहे, दिलवाए जा रहे है ंताकि वीसी के पक्ष में माहौल बन सके। दो दिन में उप मुख्यमंत्री सहित कुछ लोगों के बयानों से यह संदेश गया है। दो दिन अवकाश के रहे व कल से पता चल जाएगा कि कौन किस पाले में चला गया है या फिर मैनेज होकर आंदोलन से ही गायब हो गया है, या कर दिया गया है। एनएसयूआई की भूख हड़ताल पहले ही टूट चुकी है मगर अभाविप अब भी मैदान में है। कल कुलगुरू का सांकेतिक श्राद्ध किया था, आज प्रदर्शन करते हुए काली पट्टी बांधी व अपनी ही सरकार को जमकर कोसा।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा के विवादित बयान को लेकर छात्रों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। विवादित बयान के बाद विश्वविद्यालय परिसर में भारी आक्रोश उत्पन्न हुआ, और छात्र संगठन इस मुद्दे को लेकर अब कुलपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (।ठटच्) के सदस्यों ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने परिसर की सफाई की और अपने आंखों पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया। छात्र संगठन का कहना है कि काली पट्टी का उद्देश्य यह दिखाना है कि सरकार इस पूरे मामले में अपनी आंखें बंद किए हुए है।
छात्र नेताओं ने सरकार से फौरन हस्तक्षेप करने और कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा पर कार्रवाई करने की मांग की। ।ठटच् ने स्पष्ट किया कि जब तक कुलपति अपने पद से नहीं हटती, उनका विरोध लगातार जारी रहेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद केवल एक विवादित बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र-शिक्षक संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है। छात्र संगठन ने अपने विरोध के माध्यम से प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
इससे पहले विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों और कुलपति के बीच तनाव के संकेत भी सामने आ चुके हैं, और प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है। । BVP का कहना है कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन उनकी मांगों को पूरी तरह मान्यता दिलाए बिना वे विरोध को रोकने वाले नहीं हैं।
प्रदर्शन में त्रिभुवन सिंह, पार्थ दीक्षित, चिराग तिवारी, पीयूष झाला, हर्ष राजपुरोहित, अक्षिता राव और तुषार वाघेला सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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