24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने स्थित कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने सत्संग में बताया कि अज्ञान के कारण जो मोह में जीता है उसे जाग जाना चाहिए । काल सब जगह है जहां राम-राम का जाप है वह वहां नहीं आता ।
संत ने कहा देह का तो दुःख ही दुःख है यह गंदा है विकारों से भरा पड़ा है । बुढ़ापे में कोई सुनवाई नहीं करता शरीर जब तक मेरा है दुःख है जब रामजी का है दुख नहीं रहता । जो कांच की चूड़ी है गिरने पर टूट जाएगी काया भी शीशी की तरह ही है । यह शरीर संसार का मेहमान है जो आया है वह चला जाएगा । भगवान यह संदेश पहले ही दे देते हैं उड़ गया पंछी रह गई काया । माता-पिता की सेवा करना ही सच्चा धर्म है, माता का आशीर्वाद सबसे बड़ी दौलत है । संत ने कहा जहां संघ होता है, वहां मर्यादा लक्ष्मण रेखा के समान अनिवार्य हो जाती है । मनुष्य का जीवन एक अनमोल निधि है । सौ शास्त्र मिलकर भी एक मस्तिष्क का निर्माण नहीं कर सकते किंतु एक सजग मस्तिष्क सौ शास्त्रों का सृजन कर सकता है । जिसने अपने मस्तिष्क का सार्थक सदुपयोग किया वहीं आइंस्टीन, भिक्षु और आचार्य तुलसी बना । जिस संघ व परिवार में मर्यादा नहीं ,वह न तो परिवार चल सकता है और न ही संघ चल सकता है । संघ की आधारशिला को सुदॄढ़ करने के लिए मर्यादा और समर्पण की ध्वजा अनिवार्य है । संसार के लोग हमेशा धनवानो से ही संबंध जोडऩा चाहते हैं निर्धनों को कभी गले भी नहीं लगाते । दुनिया उसी का मान सम्मान करती है जिसके पास धन होता है गरीब का अपमान किया जाता है । इंसान की पूजा नहीं बल्कि पैसे की पूजा होती है । मृत्यु के समय पैसा साथ नहीं आता पैसे से किसी धनवान का जीवन नहीं बचाया जा सकता । जो व्यक्ति साधु- संतो व धर्म के लिए धन खर्च करता है भगवान उसके जीवन में कभी कमी नहीं आने देते । जीवन में कुछ मांगना है तो, परमात्मा से मांगो दुनिया से नहीं । प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद बालकृष्ण सोमपुरा परिवार का रहा सत्संग में परमार ,विष्णु भावसार, सुरेंद्र शर्मा के अतिरिक्त प्रेमलता सुथार, विमला शर्मा ,प्रेमलता पंचाल ,मिटी परमार, भानु सेवक सहित महिला व पुरूष उपस्थित रहे।
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