उदयपुर के श्री वीरवाल समाज सेवा संस्थान छात्रावास परिसर, मनवाखेड़ा सेक्टर 6 में सामूहिक प्रार्थना सभा का भव्य आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में 60 से अधिक समाजजन एकत्रित हुए और श्रद्धापूर्वक नवकार मंत्र जाप तथा भजन संध्या में भाग लिया।
ध्यान और प्रार्थना: आत्मिक शांति का माध्यम
इस प्रार्थना सभा में हार्टफुलनेस संस्था के उदयपुर केंद्र समन्वयक डॉ. राकेश दशोरा ने ध्यान, प्रार्थना और सर्वधर्म समभाव की भावना पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने समझाया कि समर्पण भाव से की गई प्रार्थना मन को शांति प्रदान करती है और ध्यान के माध्यम से हम अपने हृदय में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। यह आध्यात्मिक उन्नति का एक प्रभावी साधन है, जिससे व्यक्ति की आत्मिक यात्रा सशक्त होती है।
हार्टफुलनेस प्रशिक्षक डॉ. सूबोध शर्मा ने भी सभा को संबोधित किया और हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति एवं “एकात्म अभियान” की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ध्यान और प्रार्थना से मन का शुद्धिकरण होता है, जिससे व्यक्ति अधिक संतुलित और सकारात्मक जीवन जी सकता है।
“हर दिल ध्यान, हर दिन ध्यान”—एकात्म अभियान की पहल
डॉ. सूबोध शर्मा ने बताया कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और हार्टफुलनेस संस्थान के सहयोग से देशभर में “हर दिल ध्यान, हर दिन ध्यान” अभियान चलाया जा रहा है। इस एकात्म अभियान के तहत राजस्थान के 18,000 गांवों में करोड़ों लोगों को ध्यान साधना से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस वैश्विक अभियान का नेतृत्व हार्टफुलनेस संस्थान के पूज्य गुरु श्री कमलेश पटेल दाजी कर रहे हैं।
इस अभियान का उद्देश्य ध्यान को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना और लोगों को आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है। यह एक अध्यात्मिक और मानसिक कल्याण अभियान है, जो भारतीय संस्कृति की ध्यान परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
ध्यान सत्र: आत्मिक अनुभव और गहन शांति
ध्यान सत्र से पूर्व बहन आशा शर्मा और वंदना जी ने सभी प्रतिभागियों को निर्देशित शिथिलीकरण अभ्यास कराया, जिससे उनका मन और शरीर ध्यान के लिए तैयार हो सके। इसके बाद डॉ. राकेश दशोरा ने प्राणाहुति आधारित योग ध्यान कराया, जिसमें सभी उपस्थितजन गहरी तन्मयता के साथ सहभागी बने।
ध्यान सत्र के बाद प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि ध्यान के दौरान उन्हें—
✅ अपूर्व शांति
✅ कृतज्ञता का भाव
✅ तनाव से मुक्ति
✅ गहरी समाधि और आत्मिक अनुभव
का अहसास हुआ। प्रतिभागियों ने कहा कि यह ध्यान सत्र उनके लिए अविस्मरणीय और आत्मिक रूप से जागरूक करने वाला अनुभव रहा।
संस्थान की ओर से स्वागत एवं आभार
इस अवसर पर संस्थान के संरक्षक मंडल—डी.आर. दायमा, बद्रीलाल वीरवाल और गोविंदराम चौहान ने सभी अतिथियों का सौहार्दपूर्ण स्वागत किया।
संस्थान के अध्यक्ष प्रेमचंद वीरवाल ने अपने आभार वक्तव्य में कहा कि—
👉 “प्रार्थना हृदय का अमृत है, जो मानव मन की अशुद्धियों का प्रक्षालन कर आत्मसाधना और परमात्मा से संवाद का माध्यम बनती है।”
उन्होंने इस प्रकार के आध्यात्मिक आयोजनों की निरंतरता बनाए रखने पर जोर दिया और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।
समाज के लिए प्रेरणादायक आयोजन
यह आध्यात्मिक आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सभी उपस्थितजनों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुआ। ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से मन की एकाग्रता, आत्मशुद्धि और आंतरिक आनंद प्राप्त करने का यह एक सराहनीय प्रयास रहा।
इस आयोजन ने सामूहिक भक्ति, ध्यान और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा दिया और समाज के लोगों को सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति की ओर अग्रसर किया।

