Site icon 24 News Update

रूस में मिला अलवर के MBBS छात्र अजीत चौधरी का शव, 19 दिन से लापता था छात्र, परिवार की उम्मीदें टूटीं — 3 बीघा जमीन बेचकर भेजा था पढ़ने

Advertisements

24 News Update अलवर/लक्ष्मणगढ़। रूस में 19 दिन से लापता चल रहे अलवर जिले के कफनवाड़ा गांव निवासी एमबीबीएस छात्र अजीत चौधरी (22) का शव आखिरकार ऊफा शहर की व्हाइट रिवर से लगते एक बांध में मिला है। गुरुवार को रूस स्थित यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसकी पुष्टि की। अजीत के साथ पढ़ने वाले भारतीय विद्यार्थियों ने भी शव की पहचान कर ली है।

अजीत रूस की बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Bashkir State Medical University) में थर्ड ईयर का छात्र था। वह 19 अक्टूबर को अचानक लापता हो गया था। अगले दिन नदी किनारे उसके कपड़े, जैकेट और मोबाइल बरामद हुए थे। शुरुआती जांच में माना गया कि अजीत नदी में गिर गया, लेकिन लगातार तलाशी के बावजूद उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था।

विदेश मंत्रालय से लेकर दूतावास तक लगाई थी गुहार
परिवार ने बेटे की खोज के लिए हर दरवाजा खटखटाया। कुछ दिन पहले ही अजीत के पिता रूप सिंह चौधरी और अन्य परिजन अलवर सरस डेयरी के चेयरमैन नितिन सांगवान के साथ दिल्ली पहुंचे थे, जहां उन्होंने विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह से मुलाकात की थी।
मंत्री ने रूस स्थित भारतीय दूतावास से बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन अब शव मिलने की खबर ने परिवार की सारी उम्मीदें तोड़ दी हैं।

दो दिन में भारत लाया जाएगा शव
नितिन सांगवान ने बताया कि रूस दूतावास के माध्यम से सूचना दी गई है कि शव का पोस्टमॉर्टम मेडिकल बोर्ड द्वारा कराया जाएगा, उसके बाद उसे भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी। संभावना है कि दो दिन में शव अलवर पहुंच जाएगा।

3 बीघा जमीन बेचकर भेजा था रूस
अजीत के परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। पिता किसान हैं और परिवार के पास करीब 20 बीघा कृषि भूमि है। बेटे को डॉक्टर बनाने के सपने में उन्होंने 3 बीघा जमीन बेचकर उसे रूस पढ़ने भेजा था। परिवार का दूसरा बेटा अभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। अजीत की मां संतरा देवी ने कुछ दिन पहले मीडिया के सामने हाथ जोड़कर अपील की थी कि सरकार उनके बेटे को ढूंढने में मदद करे, लेकिन अब बेटे की मौत की खबर ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया है।
गांव में पसरा सन्नाटा
कफनवाड़ा गांव में अजीत के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुटी है। हर कोई यही कह रहा है — “जिस बेटे को गांव ने डॉक्टर बनने भेजा, उसका शव लौटेगा — ये किसी ने सोचा नहीं था।”

Exit mobile version