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सेंट ग्रिगोरियस प्रबंधन की ‘फूट डालो-राज करो’ नीति हुई फेल, और तेज हुआ आंदोलन, अभिभावक व शिक्षक एकजुट, फेक न्यूज वाले मीडिया समूह हुए एक्सपोज

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उदयपुर। सेंट ग्रिगोरियस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पिछले तीन दिनों से जारी तनाव गुरुवार को चरम पर पहुंच गया। स्कूल प्रबंधन द्वारा अस्थायी शिक्षकों के साथ मिलकर अभिभावकों को भेजे गए वीडियो, परीक्षाओं की अचानक रद्द-बहाली, देर रात भेजे गए धमकी भरे संदेश और शिक्षकों की कथित बहाली से जुड़े विवाद ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। गुरुवार की सुबह सैकड़ों अभिभावक और शिक्षक स्कूल परिसर के बाहर एकत्र हुए और प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया।

सुबह 7 बजे से ही स्कूल प्रबंधन ने अस्थायी शिक्षकों और स्टाफ को खड़ा कर एक वीडियो तैयार करवाया, जिसमें यह दावा किया गया कि स्कूल में कोई विवाद नहीं है और सभी शिक्षक सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। वीडियो का उद्देश्य अभिभावकों को आश्वस्त करने का प्रयास था मगर अभिभावक खुद आंदोलन का हिस्सा हैं, उन्होंने इसे फोटो शूट बताया व कहा कि यह मजाक किया जा रहा है। अस्थयी शिक्षकों से इस तरह का फोटो शूट करवाने से परसेप्शन मैनेजमेंट का पैंतरा पूरी तरह से फेल नजर आया। सोशल मीडिया पर भी वीडिया का खूब मजाक बनाया गया।

मौके पर उपस्थित लोगों ने कहा कि यह वास्तविक स्थिति छिपाने का प्रयास है। इसके साथ ही, दो दिन पहले बिना किसी पूर्व सूचना के रद्द की गई परीक्षाओं का टाइम-टेबल गुरुवार दोपहर अचानक जारी कर दिया गया, जिससे अभिभावक असमंजस और आक्रोश में आ गए। उन्होंने इसे एकतरफा और तानाशाही निर्णय बताते हुए विरोध दर्ज कराया।

इसी बीच, प्रबंधन की ओर से बुधवार देर रात 11 बजे अभिभावकों को संदेश भेजा गया कि यदि छात्र आंदोलन में शामिल होते पाए गए तो उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अभिभावकों ने इसे तानाशाही बताते हुए कहा कि रात को मैसेज करके क्या सबित करना चाहते हैं। हमें डरा रहे हैं हम डरने वालों में नहीं हैं। बच्चों को आंदोलन से दूर रखने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। गुरुवार सुबह बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल पहुंचे और कहा कि बच्चों को डराने-धमकाने की इस प्रवृत्ति को वे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेंगे।

दूसरी ओर, आंदोलनरत शिक्षकों ने स्कूल गेट के बाहर ही प्रार्थना की और अपने सम्मानजनक पुनर्बहाली की मांग रखी। शिक्षकों का कहना है कि कुछ मीडिया समूहों में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि शिक्षकों को वापस ले लिया गया है, जबकि प्रबंधन द्वारा दी गई चिट्ठी में न तो सम्मानजनक भाषा का प्रयोग किया गया है और न ही सेवा नियमों के अनुरूप आदेश जारी हुए हैं। उन्होंने बताया कि 36 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी संशोधित आदेश नहीं दिए गए, जिससे स्पष्ट होता है कि बहाली की खबर केवल भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से फैलाई गई है। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि मीडिया का एक वर्ग क्रिसमस के विज्ञापन लेने के लिए इस हद तक गिर जाएगा और बिकाउ हो जाएगा, यह नहीं सोचा था। जरा भी शर्म है तो मौके पर पर आकर सही रिपोर्टिंग करें। नहीं करते हैं तो उसका भी बहिष्कार किया जाएगा।

मौके पर पहुंची एक पूर्व शिक्षिका ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन तानाशाही पर उतर आया है और शिक्षकों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार हो रहा है। खुद उनके साथ भारी अन्याय हुआ। उन्होंने कहा कि यहां मैनेजमेंट नहीं गुंडागर्दी चल रही है। अभिभावकों ने भी कहा कि प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और मैनेजर (फादर) तीनों को तत्काल हटाए बिना स्कूल में शांति और शिक्षा का माहौल बहाल नहीं हो सकता।

इस दौरान शिक्षकों व अभिभावकों ने एक विस्तृत ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा, जिसमें स्कूल में व्याप्त अनियमितताओं, उत्पीड़न, असुरक्षित माहौल और छात्रों के भविष्य पर मंडरा रहे खतरे का विस्तृत उल्लेख है। ज्ञापन में कहा गया है कि कक्षा 10 और 12 की प्री-बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, ऐसे में स्कूल को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना और वरिष्ठ शिक्षकों को हटाना सीधे-सीधे विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ है।

ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि 30 वर्ष से अधिक सेवाकाल वाली शिक्षिका अनीता कुरियन और 22 वर्षों से कार्यरत शिक्षक सन्जू वर्गीज़ को उनके मूल दायित्वों पर तुरंत पुनर्बहाल किया जाए। शिक्षकों का कहना है कि दोनों पर लगाए गए आरोप झूठे, दुर्भावनापूर्ण और प्रताड़ना के उद्देश्य से दिए गए शो-कॉज़ नोटिसों पर आधारित हैं।

सबसे गंभीर आरोप वाइस प्रिंसिपल के संबंध में लगाए गए हैं। ज्ञापन के अनुसार वे घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, भ्रूण हत्या और स्कूल परिसर में एक शिक्षिका के साथ अनुचित संबंधों संबंधी गंभीर FIR में जमानत पर चल रहे हैं, बावजूद इसके प्रबंधन द्वारा उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। शिक्षकों ने कहा कि सेवा नियमों के अनुसार उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए था, लेकिन प्रिंसिपल और मैनेजर उन्हें बचा रहे हैं।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि स्कूल में CCTV का दुरुपयोग हो रहा है, शिक्षकों को अवैध मेमो देकर परेशान किया जा रहा है और CBSE नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। अभिभावकों ने कहा कि पिछले दो दिनों से शिक्षक ठंड में सड़क पर बैठे हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया, जिससे आक्रोश और बढ़ रहा है।

अभिभावकों और शिक्षकों की सामूहिक मांग है कि मैनेजर, प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को तुरंत पद से हटाया जाए तथा स्कूल संचालन अनुभवी व वरिष्ठ शिक्षकों को सौंपा जाए। वैकल्पिक रूप से उन्होंने मांग रखी कि स्थिति सामान्य होने तक स्कूल को जिला प्रशासन के नियंत्रण में लिया जाए, ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो और वातावरण सुरक्षित हो सके।

गुरुवार को गहराते विवाद के बीच प्रबंधन ने एक और घोषणा करते हुए कहा कि शुक्रवार से परीक्षाएं फिर शुरू होंगी, लेकिन अभिभावकों ने इसे भी दबाव बनाने का प्रयास बताया। उनका कहना है कि जब तक प्रबंधन की जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक परीक्षाएं बच्चों के हित में नहीं होंगी क्योंकि स्कूल का माहौल असुरक्षित और अस्थिर बना हुआ है। मौके पर आज कई पूर्व् छात्र भी पहुंचे व शिक्षकों को जमीन पर देख कर उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि जिनको वे भगवान मानते हैं आज वे जमीन पर बैठै हैं, ये दिन देख कर खून खौलता है। जहां शिक्षकों का सम्मान नहीं, वहां पर विरोध की ज्वाला धधकना तय है। स्कूल मैनेजमेंट चाहे जितनी पैंतरेबाजियां अपना लें मगर शिक्षकों को सम्मान दिलाकर रहेंगे। शिक्षकों के सम्मान में, युवा मैदान में के नारे भी खूब लगे। मौके पर पहुंचे एक सिख समाज के अभिभावक ने टीसी दिखाते हुए कहा कि उनकी बेटी को अपनी सिख पहचान कड़ा पहन कर आने की वजह से बार बार मानसिक रूप से हरैस किया गया। हालात ये हो गए कि बिटिया को बारहवी की परीक्षा देनी है और स्कूल ने टीसी थमा दी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में अब धार्मिक स्तर पर भी संगठन लामबंद हो रहे हैं। कुल मिलाकर, सेंट ग्रिगोरियस स्कूल में गहराया यह विवाद अब केवल शिक्षकों का आंदोलन नहीं रहा, बल्कि अभिभावक, पूर्व शिक्षक और सामाजिक संगठनों का संयुक्त आंदोलन बन चुका है। शहर में चर्चा है कि यह विवाद जल्द ही जिला प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती में बदल सकता है, क्योंकि मामला सीधे छात्रों के भविष्य और विद्यालय की विश्वसनीयता से जुड़ा है।
सोए हुए हैं प्रशासनिक अधिकारी
पूरी माहौल में प्रशासनिक अधिकारी सोए हुए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी अब तक उन लोगों के आदेश का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं जो खुद स्कूल प्रबंधन की गोद में जाकर बैठ गए हैं। राजनेता भी स्कूल प्रबंधन के दबाव के आगे घुटने टेकते हुए नजर आ रहे हैं। अगर मामले को शीघ्र नहीं सुलझाया गया तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन होने के आसार हैं।

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