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सोशल मीडिया का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति में अहम योगदान : प्रो. सारंगदेवोत

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आधुनिक समाज में संचार की बदलती भूमिका पर राष्ट्रीय सेमिनार

24 News update उदयपुर, 27 जून। आधुनिक समाज में संचार की बदलती भूमिका और सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर गुरुवार को राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से एक्सप्लोरिंग द इवॉल्विंग रोल ऑफ कम्यूनिकेशन इन मॉडर्न सोसायटी विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे सनातन दर्शन में शब्द को ब्रह्म माना गया है और उसकी ध्वनि वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक दिशाओं में गूंज रही है। आज शब्द और संचार माध्यमों की शक्ति देश ही नहीं, वैश्विक स्तर पर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

उन्होंने कहा कि सूचनाओं के संप्रेषण में तकनीकी माध्यमों का बढ़ता उपयोग एक नई क्रांति है, जिसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव सामने आ रहे हैं। आज तकनीक का उपयोग अनिवार्य है, मगर संचार के साथ तथ्यों की विश्वसनीयता और वैधता बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सावधानी, संयम और सतर्कता के साथ सूचना साधनों का सही उपयोग ही समाज हित में होगा।

सोशल मीडिया के प्रभाव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियां

प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव आज शिक्षा, समाज, अर्थव्यवस्था, राजनीति, चिकित्सा और पर्यावरण जैसे हर क्षेत्र में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। देश के 18 से 35 वर्ष की उम्र के 65% युवा सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। भारत का एक युवा जहां औसतन तीन से चार घंटे सोशल मीडिया पर बिताता है, वहीं जापान में यह आंकड़ा मात्र 45 मिनट का है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं, जैसे अवसाद, सहनशीलता की कमी और एकाग्रता भंग होना।

कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने दी चेतावनी

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि हर क्षेत्र में संचार माध्यमों का उपयोग बढ़ा है, लेकिन इसके साथ इसके दुष्परिणाम भी समाज में तीव्रता से नजर आने लगे हैं। विशेष रूप से युवाओं पर सोशल मीडिया का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि AI और डिजिटलीकरण के दौर में शिक्षित और अशिक्षित वर्ग में इसके प्रभावों पर भी काम करने की जरूरत है।

सेमिनार की रूपरेखा और प्रतिभागिता

सेमिनार की शुरुआत में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ. अमी राठौड़ ने एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की जानकारी देते हुए बताया कि यह आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड पर हुआ, जिसमें देश के आठ राज्यों (नासिक, देहरादून, अलवर, बैंगलोर, भोपाल, नवसारी, जोधपुर, हिसार) से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और 70 शोध पत्रों का वाचन किया गया।

पांच तकनीकी सत्र, विशेषज्ञों ने रखे विचार

सेमिनार के पांच तकनीकी सत्रों में प्रो. परितोष दुग्गड़, प्रो. सीमा मलिक, प्रो. जी.एम. मेहता और प्रो. मंजू मांडोत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। इन सत्रों में पेपर प्रजेंटर्स की प्रस्तुतियों का सूक्ष्म निरीक्षण भी किया गया।

विशेष सहभागिता

सेमिनार का संचालन डॉ. इंदु बाला आचार्य ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. बलिदान जैन ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. भूरालाल शर्मा, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. नीतू व्यास, डॉ. रजनी धायभाई, डॉ. उषा शर्मा, डॉ. हिम्मत सिंह चूंडावत, डॉ. हरिश मेनारिया, डॉ. हरिश चौबीसा सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर, विद्यार्थी और स्कॉलर्स मौजूद रहे।

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