24 News Update उदयपुर। शिक्षा की भूमिका और ‘सुविकसित भारत 2047’ की संकल्पना को लेकर शनिवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी महाविद्यालय के एजुकेशन संकाय द्वारा आयोजित इस सेमिनार में देशभर के शिक्षा विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों ने सहभागिता की। मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री अर्जन तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं को सशक्त करने, आर्थिक प्रगति, सामाजिक समानता और संस्कार निर्माण का साधन है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना संस्कृति, तकनीकी और सामाजिक समरसता के त्रिवेणी संगम से ही साकार होगी। कौशल विकास और स्मार्ट एग्रीकल्चर को आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए उन्होंने नवम्बर माह में MPUAT और राजस्थान विद्यापीठ के बीच एमओयू की घोषणा भी की। कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि भारत का विकसित स्वरूप केवल आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं हो सकता। स्वच्छ, सुशासित, सुरक्षित और संतुष्ट भारत के संकल्प के साथ ही विकास संभव है। उन्होंने प्राकृतिक पंचतत्वों के संतुलन को विकास की आधारशिला बताते हुए कहा कि जब तक राष्ट्र सुरक्षित नहीं होगा, तब तक सुविकसित भारत की परिकल्पना अधूरी है। उन्होंने युवाओं से शिक्षा, तकनीक, संस्कृति और सामाजिक चेतना के साथ जुड़ने का आह्वान किया।
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि शिक्षा ही किसी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की बुनियाद है, परंतु यह संस्थागत डिग्री तक सीमित न रहकर जनजागरण और सामाजिक चेतना का माध्यम बने। उन्होंने युवाओं से चरित्र निर्माण और राष्ट्रहित में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
सेमिनार की आयोजन सचिव डॉ. सुनिता मुर्डिया ने बताया कि ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में आयोजित इस सेमिनार में देश के 7 राज्यों के 225 प्रतिभागियों ने भाग लिया। चार तकनीकी सत्रों में प्रो. एमपी शर्मा, प्रो. पीसी दोषी, डॉ. अनिल कोठारी, डॉ. अमी राठौड़ और डॉ. रचना राठौड़ ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर ‘फिशरीज एडमिनिस्ट्रेटिव क्यूए’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया और आभार प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने जताया। समारोह में परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. ललित श्रीमाली, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. यज्ञ आमेटा, डॉ. प्रदीप शक्तावत समेत विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर, विद्यार्थी और स्कॉलर मौजूद रहे।
सुविकसित भारत 2047 के लिए शिक्षा, संस्कृति और तकनीकी का त्रिवेणी संगम ज़रूरी — राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षा विद्वानों ने रखा विजन

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