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जयपुर में सेप्टिक टैंक हादसा: सोना-चांदी के लालच में उतारे गए 4 मजदूरों की मौत, 2 गंभीर

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24 News Update जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर में सोमवार देर रात एक ज्वेलरी फैक्ट्री के सेप्टिक टैंक में दम घुटने से 4 सफाईकर्मियों की मौत हो गई, जबकि दो की हालत नाजुक बनी हुई है। घटना सांगानेर सदर थाना क्षेत्र के सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित अचल ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड में हुई, जहाँ टैंक की सफाई के दौरान यह हादसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मजदूरों ने दिन में टैंक में उतरने से मना कर दिया था, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने अधिक पैसे देने का लालच देकर रात में सफाई शुरू करवाई। माना जा रहा है कि टैंक में जहरीली गैस भरी हुई थी, जिससे मजदूर बेहोश होते गए और फिर चार की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में मारे गए सभी मजदूर उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे:
संजीव पाल (अंबेडकर नगर) हिमांशु सिंह (अंबेडकर नगर) रोहित पाल (अंबेडकर नगर) अर्पित यादव (सुलतानपुर) गंभीर हालत में अजय चौहान और राजपाल का इलाज RUHS हॉस्पिटल में जारी है, जबकि दो अन्य मजदूरों – अमित पाल और सूरजपाल – को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।


सेप्टिक टैंक से सोना-चांदी निकालने की कवायद
फैक्ट्री प्रबंधन के अनुसार, गहनों की कटिंग और पॉलिशिंग के दौरान बारीक सोने-चांदी के कण पानी और कीचड़ के साथ टैंक में जमा हो जाते हैं। समय-समय पर इन कणों को निकालने के लिए टैंक की सफाई कराई जाती है। सोमवार को भी इसी उद्देश्य से 8 मजदूरों को एक-एक कर टैंक में उतारा गया था।


पुलिस जांच और देरी से कार्रवाई
घटना की सूचना पर सांगानेर सदर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को महात्मा गांधी हॉस्पिटल भिजवाया। सीआई अनिल जैमन के अनुसार, FIR दर्ज करने से पहले मृतकों के परिवारों के आने का इंतजार किया जा रहा है। एफएसएल टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन-सी जहरीली गैस से यह हादसा हुआ।


मैनेजमेंट पर लापरवाही के आरोप
फैक्ट्री संचालक अरुण कुमार कोठारी और CEO विकास मेहता के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है। मृतकों के परिजनों और मजदूर संघों ने दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। इस हादसे ने फिर एक बार सेप्टिक टैंक सफाई की गैर-कानूनी प्रक्रिया और मजदूरों की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। यह साफ है कि बिना किसी सेफ्टी गियर और गैस जांच के मजदूरों को अंदर भेजना एक जानलेवा लापरवाही थी।

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