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जांबाज, निष्ठावान, सेवा और समर्पण की मिसाल वरिष्ठ भाजपा नेता दलपत सुराणा पंचतत्त्व में हुए विलीन, उठावणा आज शाम 5 बजे

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24 News update उदयपुर। उदयपुर की सियासत में जांबाजी, निष्ठा व समर्पण के प्रतीक और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले, समाजसेवा और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी दलपत सुराणा को रविवार को अंतिम विदाई दी गई।
लंबी बीमारी के बाद शनिवार को उनका निधन हो गया था। कुछ समय से अस्वस्थ थे और एमबी अस्पताल में इलाजरत थे। कुछ समय पहले ही उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया व उसके बाद से वेंटिलेटर पर थे। शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।


नम आंखों से दी अंतिम विदाई

रविवार प्रातः 9:30 बजे उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान 33-बी, अंबामाता (आईजी बंगले के सामने) से प्रारंभ हुई और रानी रोड स्थित मोक्षधाम पहुंची, जहाँ पूरे विधि-विधान के साथ उन्हें पंचतत्त्व में विलीन किया गया।
अंतिम यात्रा में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
हर आंख नम थी, हर मन श्रद्धा से भरा।

इस मौके पर भाजपा सहित अन्य दलों के प्रतिनिधि और शहर के अनेक गणमान्यजन भी उपस्थित रहे।
भाजपा देहात जिला अध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़,
शहर विधायक पुष्कर तेली,
ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा,
पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश भट्ट,
मांगीलाल जोशी,
रवींद्र श्रीमाली,
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत,
पूर्व उपमहापौर पारस सिंघवी,
पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश वैष्णव,
मंडल अध्यक्ष रणजीत सिंह दिगपाल सहित अनेक कार्यकर्ताओं, समाजसेवियों और नागरिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।


अंतिम संस्कार से पूर्व सुराणा के निवास पर भाजपा का ध्वज ओढ़ाकर उन्हें पार्टी का अंतिम सम्मान प्रदान किया गया। यह क्षण न केवल भावुक रहा, बल्कि उनकी अटूट निष्ठा और समर्पण का प्रतीक भी रहा, जो उन्होंने जीवनभर पार्टी और समाज के लिए दिखाया।

अंतिम संस्कार में शामिल हुए लोगों ने कहा कि दलपत सुराणा का जाना केवल एक व्यक्ति की नहीं, एक विचार, एक समर्पण और एक मूल्यवान परंपरा का अवसान है। उन्होंने जो रास्ता दिखाया, वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। उनकी स्मृति समाज की चेतना में जीवित रहेगी — विचारों में, मूल्यों में और कर्म में।


सुराणा सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध कर्मयोगी थे। दशकों तक उन्होंने भाजपा संगठन को अपने कार्य, परिश्रम और विचारशील नेतृत्व से सशक्त किया। वे ऐसे नेता थे जिन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम माना और जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।


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