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मेवाड़ भाजपा के जांबाज और हर दिल अजीज नेता दलपत सिंह सुराणा का निधन, कार्यकर्ताओं में शोक की लहर

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। मेवाड़ भाजपा के वरिष्ठ, जुझारू और बेबाक नेता दलपत सिंह सुराणा का आज बीमारी के चलते निधन हो गया। पारिवारिक मित्र दिलीपसिंह जी यदुवंशी ने बताया कि वे पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे व उनकी क्रिटिकल केयर की जा रही थी। सोमवार को उनकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी व ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। इस बीच कुछ सोशल मीडिया समूहों में उनके देवलोक गमन की खबर प्रसारित होने से गफलत की स्थिति बन गई थी। हालांकि पारिवारिक सूत्रों ने तब इसका खंडन किया था।


शनिवार 12 जुलाई को शाम सवा पांच बजे सुराणा ने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार कल सुबह किया जाएगा। पार्थिव देह 34 बी अंबामाता स्थिति निवास पर रखी गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं और उनके शुभचिंतकों में आज शाम को खबर मिलते ही गहरा शोक छा गया।


पूर्व भाजपा देहात जिलाध्यक्ष वीरेंद्रसिंह सोलंकी ने 24 न्यूज अपडेट से बातचीत में बताया कि दलपतसिंह सुराणा सच्चे अर्थों में भाजपा और जनसंघ के वह सिपाही थे, जो कार्यकर्ताओं की हिफाजत और संघर्ष के लिए हमेशा आगे रहते। 1990 के विधानसभा चुनाव में श्रीनाथ मार्ग दिगंबर जैन स्कूल केंद्र पर मतदान के दौरान कांग्रेसियों से झगड़ा इस कदर बढ़ गया कि भाजपा के वोटर भाग गए। कांग्रेसियों ने चुनौती देकर सोलंकी से कहा कि हम शाम को आपसे दो-दो हाथ करने आएंगे। तब पूरे शहर में खबर फैलने के बावजूद पार्टी के केवल दो लोग ही मौके पर पहुंचे। दलपत सुराणा और गजेंद्र व्यास (ब्रह्मपुरी)। तब सुराणा ने डंके की चोट पर कहा कि ‘किसी को हाथ लगाया तो काट दूंगा’। पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता व साथियों पर वे जान छिड़कते थे। यह नहीं सोचते कि अंजाम क्या होगा।


दलपत सुराणा ने युवा मोर्चा अध्यक्ष, जनसंघ महामंत्री और बाद में जनता पार्टी के महामंत्री के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई। एक बार उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट भी मिला, पोस्टर छप गए थे, लेकिन ऐन वक्त पर वह टिकट शिवकिशोर जी को दे दिया गया। इससे उन्हें काफी निराशा हुई।
उनके और पूर्व उपराष्ट्रपति व तब के सीएम व कद्दाव नेता भैरोसिंह शेखावत के रिश्ते भी बेहद आत्मीय रहे। जब भी भैरोसिंहजी उदयपुर आते, उन्हीं की गाड़ी में सफर करते। मजेदार किस्सा ये भी है कि भैरोसिंहजी की तंबाकू तक दलपत सुराणा ही बनाकर दिया करते। एक बार सुराणा ने उनसे कहा कि ठाकुर साहब मुझे राजनीति में कुछ नहीं मिला, तब भैरोसिंहजी बोले -‘तुझे पर ये हाथ रखा है तेरा, तुझे सब मिलेगा।’


सुराणा कुश्ती संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे और राष्ट्रमंडल खेलों व ओलंपिक में भारतीय कुश्ती संघ का प्रतिनिधित्व किया। वे राजनाथ सिंह और अन्य राष्ट्रीय नेताओं के भी निकट माने जाते थे। पीएम नरेंद्र मोदी के भी करीबी थे। गुजरात मुख्यमंत्री पद की शपथ का प्रसंग हो या उनके पीएम बनने पर शपथ का प्रसंग विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में वे मौजूद थे व मेवाड़ में इसकी खासी चर्चा आज तक होती रहती है।


अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने लंबा संघर्ष किया। एक बार भैरोंसिंह शेखावत मंच की ओर से गुलाबचंद कटारिया के खिलाफ भी मैदान में उतरे, हालांकि अपेक्षित समर्थन न मिलने पर वे निराश हुए। लेकिन कुछ समय बाद ही गिले शिकवे भूलकर फिर भी पार्टी में लौटकर सक्रियता कायम रखी।


उन्हें उदयपुर शहर की वालसिटी के हर मोहल्ले, गली, चौराहे, शख्स तक की जानकारी थी। मालदार स्ट्रीट में रहते हुए राजनीति की शुरुआत करने वाले सुराणा का अंतिम समय अंबामाता टीचर्स कॉलेज क्षेत्र में बीता। वे पार्टी वर्कर्स के लिए जान देने को तैयार जाबांज नेता थे। पद और रुतबा भले उन्हें वह न मिला, जिसके वे असल हकदार थे, मगर कार्यकर्ताओं के दिल में आज भी उनकी खास जगह है व हमेशा रहेगी। आज उनकी पंक्ति व उनके जैसी भावनाओं वाले नेता कहीं नहीं मिलते। उदयपुर की राजनीति में जब जब जांबाजी का जिक्र होगा, उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी। उदयपुर और मेवाड़ भाजपा ने आज अपना एक सच्चा सिपाही और संघर्षशील नेता खो दिया।


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