24 News Update उदयपुर। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से शनिवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता यूजीसी के संयुक्त सचिव प्रो. जी.एस. चौहान ने कहा कि “समाज सेवा तभी सार्थक है जब उसमें महिलाओं और बालिकाओं की समान भागीदारी हो।” उन्होंने कहा कि बालिकाएँ केवल परिवार की नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। नारी सशक्तिकरण कोई नारा नहीं, बल्कि समाज की संवेदनशील चेतना का प्रतीक है, जो भारत को समावेशी और प्रगतिशील दिशा प्रदान करता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि बालिका समाज की जीवंत शक्ति है। शिक्षित और आत्मनिर्भर बालिका आज विज्ञान, प्रशासन और नेतृत्व के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है। यह परिवर्तन समाज की सोच में आए सकारात्मक बदलाव का परिणाम है।
कुलाधिपति भंवर जी गुर्जर एवं कुल प्रमुख ने अपने संदेश में कहा कि “राष्ट्रीय बालिका दिवस आत्ममंथन का अवसर है। हर बालिका में सृजन और परिवर्तन की अपार शक्ति निहित है। जब वह शिक्षित और आत्मनिर्भर बनेगी, तभी राष्ट्र अपने वास्तविक सामर्थ्य तक पहुँचेगा।”
संगोष्ठी में बी.एन. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. एन.एन. सिंह, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आई.जी. माथुर, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. अनीता कोठारी सहित अनेक शिक्षाविद् एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. अमी राठौर द्वारा किया गया।
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