24 News Update उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के तहत खरीदी गई लाखों रुपए की बस इन दिनों विश्वविद्यालय परिसर में कबाड़ की तरह खड़ी नजर आ रही है। कंप्यूटर विज्ञान विभाग के अधीन रखी गई यह बस कई महीनों से बिना संचालन, बिना रखरखाव और बिना किसी जवाबदेही के उसी स्थान पर पड़ी-पड़ी जर्जर होती जा रही है। हैरानी की बात यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन न तो इस हालत से अनजान है और न ही इसे सुधारने की दिशा में कोई गंभीर कदम उठाया गया है।
सूत्रों के अनुसार, यह बस कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा लगभग ‘निजी संपत्ति’ की तरह उपयोग में ली जा रही है और विश्वविद्यालय के अन्य विभागों, शैक्षणिक यात्राओं, आधिकारिक कार्यक्रमों और खेल टूर्नामेंट के लिए इसे उपलब्ध नहीं कराया जाता। कई महीनों से बस एक ही जगह खड़ी होने के कारण उसकी बॉडी धूप, गर्मी और बारिश से खराब हो चुकी है, बैटरी और इंजन लगभग जवाब दे चुके हैं और लाखों रुपए की लागत से खरीदा गया यह संसाधन विश्वविद्यालय की उदासीनता का शिकार होकर बेकार होते जा रहा है।
RUSA फंड का उद्देश्य विश्वविद्यालय के सभी विभागों के लिए समान रूप से संसाधन उपलब्ध करवाना था, लेकिन बस को एक विभाग की सीमाओं में बांध देने से इसका उद्देश्य ही कमजोर हो गया है। यदि यह बस नियमित रूप से चलती, तो शैक्षणिक भ्रमण, टूर्नामेंट और छात्रों के विभिन्न आयोजनों में प्रति वर्ष लाखों रुपए की बचत होती। इसके विपरीत आज यह स्थिति है कि बस विश्वविद्यालय के लिए किसी उपयोग की नहीं, बल्कि एक बोझ बनकर खड़ी है और उसकी दुर्गति किसी छिपी हुई लापरवाही से कम नहीं।
अकादमिक समुदाय में इस पूरे प्रकरण को लेकर नाराजगी है। कई संकाय सदस्यों का कहना है कि RUSA से आने वाला पैसा किसी विभाग की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय समुदाय की सुविधा और प्रगति के लिए होता है। उन्होंने सवाल उठाया है कि बस को महीनों से खड़ा क्यों रखा गया, रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी थी और विश्वविद्यालय प्रशासन ने इतनी बड़ी लापरवाही पर अब तक चुप्पी क्यों साध रखी है।
अब यह मामला विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली और संसाधन प्रबंधन की संवेदनशीलता पर सीधे सवाल खड़ा करता है। अकादमिक जगत की स्पष्ट मांग है कि बस की तत्काल सर्विसिंग कर इसे पुनः संचालन में लाया जाए, इसे सभी विभागों के लिए समान रूप से उपलब्ध कराया जाए, मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो और RUSA फंड के दुरुपयोग पर सख्त निगरानी की जाए। यदि समय रहते इसे नहीं सुधारा गया, तो भविष्य में RUSA के अन्य संसाधनों का भी यही हाल हो सकता है।
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