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दीक्षा के लिए जगत् को जागृत किया रामचन्द्रसूरीश्वर ने :  जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज 

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– मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में चल रहे है निरंतर धार्मिक प्रवचन
– आचार्य रामचन्द्र सूरीश्वर महाराज की 34वीं स्वर्गारोहण पुण्यतिथि त्रिदिवसीय देव- गुरुभक्ति का आयोजन


24 News Update उदयपुर।
मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।  
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि सोमवार को आराधना भवन प्रांगण में जैनशासन के महान ज्योतिर्धर परम शासन प्रभावक पूज्य आचार्य रामचन्द्र सूरीश्वर महाराज की 34वीं स्वर्गारोहण पुण्यतिथि निमित्त त्रिदिवसीय देव- गुरुभक्ति कार्यक्रम का आयोजन हुआ। महोत्सव के प्रथम दिन जैनाचार्य के शिष्य मुनि शालिभद्रविजय, मुनिश्री स्थूलभद्र विजय एवं बाल विमलपुण्य विजय ने गुणानुवाद किए।
इस दौरान नूतन आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा   जिस समय जैनाचार्यश्री रामचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने दीक्षा ली थी, तब गंधार तीर्थ में मात्र 2 साधु , 1 श्रावक ,1 पुजारी की हाजरी थी बही कठिनाई से उन्हें दीक्षा की प्राप्ति हुई थी। परिवार की अनुमति के बिना उन्हें अनेक संघर्षों के प्रसार होने के बाद दीक्षा की प्राप्ति हुई श्री।  दीक्षा की प्राप्ति के बाद उन्होंने लोगों को दीक्षा के लिए जागृत कर घर-घर और घट-घट में दीक्षा धर्म की स्थापना की। उनके 79 वर्ष के दीक्षा जीवन में दीक्षा धर्म की दुंदुभि बजाई। इसके फल स्वरूप उनके 117 शिष्य हुए और उनके हाथों से हुई अंतिम दीक्षा में दो लाख लोगों की उपस्थिति रही थी। रत्न के व्यापारी के नौजवान पुत्र अतुल शाह की दीक्षा अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम में हुई थी। दीक्षा धर्म का प्रसार कर उन्होंने अपूर्व शासन प्रभावना के कार्य किये थे। दोपहर 2.30 बजे महिला मंडलों के द्वारा पंच कल्याणक पूजा पढाई गई।
जावरिया ने बताया कि 22 जुलाई को भव्यातिभव्य शक्रस्तव महाभिषेक प्रात: 9 बजे होगा। संगीतकार नागेश्वरभाई-मध्यप्रदेश से पधारेंगे। 23 जुलाई को प्रात: 9 बजे विशाल गुणानुवाद सभा होगी तथा 27 जुलाई को प्रात : 9.15 बजे संगीतमय पश्चात्ताप की भावयात्रा होगी। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, गौतम मुर्डिया, अभिषेक हुम्मड, जसवंत सिंह सुराणा, भोपाल सिंह सिंघवी, हेमंत सिंघवी, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही। 

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