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आराधना भवन में वर्धमान शक्रस्तव महाभिषेक का हुआ आयोजन

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मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में चल रहे है निरंतर धार्मिक प्रवचन

24 News Update उदयपुर, 22 जुलाई। मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि मंगलवार को आराधना भवन प्रांगण में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वरजी महाराज की शुभनिश्रा में श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपुजक जैन संघ मालदास स्ट्रीट-उदयपुर जैन शासन के महान् ज्योर्तिधर पूज्य आचार्य रामचन्द्र सूरीश्वर महाराज की 34वीं स्वर्गारोहण पुण्यतिथि निमित्त त्रिदिवसीय देव-गुरुभक्ति महोत्सव के दूसरे दिन भव्यातिभव्य वर्धमान शक्रस्तव महाभिषेक का आयोजन हुआ। लाभार्थी शैलेन्द्र हिरण परिवार ने प्रभुजी पर विविध औषधियों से अभिषेक किया ।
इस दौरान नूतन आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा जैनाचार्यश्री ने इसकी महिमा बताते हुए कहाकि -यह शक्रस्तव विक्रम राजा के प्रतिबोधक जैनाचार्य श्री सिध्दसेन दिवाकर सूरीश्वरजी को शक्र नाम के इन्द्र महाराजा ने प्रदान किया है। इस में परमात्मा के 273 विशेषण दिये है।. परमात्मा के अभिषेक से हमारी आत्मा पवित्र बनती है। सुर, असुर और मनुष्य रूपी जीव लोक के प्रभु होने से अरिहंत परमात्मा में संपूर्ण प्रभुता है। अरिहंत परमात्मा का रूप भी सर्वोत्कृष्ट होता है। इस जगत् में श्री अरिहंत परमात्मा से बढक़र किसी का रूप नहीं होता है। अरिहंत परमात्मा का यश भी तीनों लोक में फैला होता है। समवसरण आदि बाह्य लक्ष्मी और केवलज्ञान आदि अभ्यंतर लक्ष्मी भी सर्वोत्कृष्ट होती है। अरिहंत परमात्मा को पाँच महाव्रत आदि हेतु रूप धर्म और क्षमा आदि फलरूप धर्म भी सर्वोत्कृष्ट होता है। छद्मस्थ अवस्था में चार ज्ञान के धनी होने पर भी प्रभु मोक्ष के लिए प्रचंड पुरुषार्थ करते हैं। इस प्रकार ऐश्वर्य आदि छह से युक्त होने के कारण अरिहंत परमात्मा भगवंत कहलाते हैं।
जावरिया ने बताया कि 23 जुलाई को प्रात: 9 बजे विशाल गुणानुवाद सभा होगी तथा 27 जुलाई को प्रात : 9.15 बजे संगीतमय पश्चात्ताप की भावयात्रा होगी। कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, गौतम मुर्डिया, जसवंत सिंह सुराणा, भोपालसिंह सिंघवी सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।

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