प्रतापगढ़। राजस्थान पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात मानवीय संवेदना, कानून और साहसिक कार्रवाई की हो, तो सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं। “ऑपरेशन विश्वास” के तहत प्रतापगढ़ पुलिस ने महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में गन्ने के खेतों में बंधक बनाकर रखे गए 53 आदिवासी मजदूरों को मुक्त कराकर न केवल उनकी ज़िंदगी बचाई, बल्कि मानव तस्करी और मजदूर शोषण के एक संगठित गिरोह की परतें भी उधेड़ दीं।
भरोसे का सौदा, बंधन की ज़ंजीरें
घण्टाली, पीपलखूँट और पारसोला थाना क्षेत्रों के दर्जनों गांवों — वरदा, जामली, मालिया, गोठड़ा, उमरिया पाड़ा, बड़ा काली घाटी, ठेसला, कुमारी सहित अन्य इलाकों — के भोले-भाले आदिवासी महिला-पुरुषों को इंदौर में अच्छी मजदूरी, मुफ्त खाना और रहने की सुविधा का झांसा देकर दलालों ने अपने जाल में फंसाया।
हकीकत यह थी कि करीब दो माह पहले करीब 100 मजदूरों को योजनाबद्ध तरीके से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के अकलूज थाना क्षेत्र के जाबुड़ गांव ले जाया गया, जहां से शुरू हुआ शोषण, अत्याचार और बंधुआ मजदूरी का काला अध्याय।

27 लाख से ज्यादा का खेल, मजदूरों की कीमत पर
जांच में सामने आया कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे महाराष्ट्र का दलाल सीताराम पाटिल और अलवर (राजस्थान) का खान नामक व्यक्ति थे।
दलालों ने मजदूरों को अलग-अलग जमीदारों के पास गन्ने के खेतों में बांट दिया और मजदूरों की मेहनत को गिरवी रखकर मोटी रकम एडवांस में वसूल ली।
- खान ने जमीदारों से करीब 9 लाख 50 हजार रुपये
- सीताराम पाटिल ने करीब 18 लाख रुपये एडवांस ले लिए
जब मजदूरों ने अपनी मेहनत की मजदूरी मांगी, तो जवाब में उन्हें मारपीट, गालियां, धमकियां और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार झेलना पड़ा।
फार्म हाउस बने जेल, खेत बने यातना स्थल
दलालों और जमीदारों ने मजदूरों को फार्म हाउसों के कमरों और बाड़ों में बंधक बनाकर रखा। काम से इंकार करने या मजदूरी मांगने पर अत्याचार किए गए। कुछ मजदूर मौका पाकर भाग निकले, लेकिन 13 महिलाएं और 40 पुरुष अब भी जाल में फंसे रहे — भूखे, डर में और बिना किसी सहारे के।
सूचना से ऑपरेशन तक: पुलिस की फुर्ती
22 दिसंबर 2025 को प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक श्री बी. आदित्य को जब यह अमानवीय सच्चाई पता चली, तो इसे सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि मानवता की पुकार मानते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री गजेन्द्रसिंह जोधा के मार्गदर्शन में थाना घण्टाली के उप निरीक्षक श्री सोहनलाल के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई।
सैकड़ों किलोमीटर दूर, बेहद चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू
परिजनों को साथ लेकर पुलिस टीम महाराष्ट्र रवाना हुई।
अलग-अलग स्थानों पर बिखरे मजदूरों को ढूंढना, स्थानीय दबावों और जमीदारों की चालाकियों के बीच स्वविवेक और साहस से काम लेते हुए पुलिस ने एक-एक कर सभी 53 बंधक मजदूरों को मुक्त कराया।
जेब में पैसे नहीं, दिल में भरोसा
रेस्क्यू के बाद सामने आई सबसे बड़ी समस्या —
मजदूरों के पास न खाना था, न वापसी का किराया।
ऐसे में उप निरीक्षक सोहनलाल ने जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों की मदद से किराया, भोजन और अन्य जरूरी संसाधन जुटाए और सभी मजदूरों को सुरक्षित प्रतापगढ़ वापस लाया गया।
केस दर्ज, गिरोह पर शिकंजा

इस पूरे षड्यंत्र को लेकर थाना घण्टाली में प्रकरण संख्या 128/2025 दर्ज कर लिया गया है।
मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी, धोखाधड़ी और अत्याचार की धाराओं में आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है। सभी रेस्क्यू किए गए मजदूरों को उनके गांवों तक सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई, समाज के लिए संदेश
यह कार्रवाई सिर्फ एक रेस्क्यू नहीं, बल्कि उन दलालों और शोषकों के लिए चेतावनी है जो गरीबों की मजबूरी को अपना धंधा बनाते हैं।
राजस्थान पुलिस ने एक बार फिर अपने ध्येय वाक्य को साकार किया है —
“आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय।”
✦ यह ऑपरेशन न केवल 53 परिवारों की खुशियां लौटाने वाला साबित हुआ,
✦ बल्कि यह भी साबित कर गया कि कानून जब इंसानियत के साथ चलता है,
✦ तो सबसे अंधेरे खेतों से भी आज़ादी की रोशनी निकलती है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.