Site icon 24 News Update

राजस्थान के खिलाडि़यों का जल क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन लेकसिटी की शगुन और शबाना ने रचा इतिहास जनप्रतिनिधियों ने किया अभिनंदन

Advertisements

24 News Update उदयपुर। भोपाल की लोवर लेक पर आयोजित 35वीं राष्ट्रीय कायाकिंग-कैनोइंग, 13वीं ड्रैगन बोट और 18वीं पैरा कैनो राष्ट्रीय प्रतियोगिता (जूनियर व सब-जूनियर वर्ग) में उदयपुर के खिलाडि़यों ने प्रदेश का नेतृत्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में देशभर से 1300 खिलाडि़यों ने हिस्सा लिया।
उदयपुर की शगुन कुमावत ने सब-जूनियर बालिका वर्ग में कायक-1 (200 मीटर) में गोल्ड और कायक-1 (500 मीटर) एवं कायक-2 (500 मीटर) के डबल इवेंट में शगुन कुमावत एवं मनस्वी सुखवाल द्वय ने सिल्वर पदक जीते। शबाना खान ने पैरा कैनो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर राज्य का गौरव बढ़ाया। वहीं बालक वर्ग में रूद्र प्रताप सिंह चौहान और हर्ष कुमार शर्मा की जोड़ी ने कायक-2 (1000 मीटर) में रजत पदक जीता।
राजस्थान की ड्रैगन बोट टीम ने पहली बार जूनियर वर्ग में भाग लेते हुए 2000 मीटर मिश्रित इवेंट में रजत पदक अर्जित किया। इस टीम में 16 खिलाडि़यों की भागीदारी रही, जिनका प्रशिक्षण कोच निश्चय सिंह चौहान द्वारा फतेहसागर स्थित जल प्रशिक्षण केंद्र पर कराया गया था।

सांसदों ने किया स्वागत, हर सम्भव मदद का दिया भरोसा
उदयपुर लौटने पर खिलाडि़यों का जोरदार स्वागत हुआ। विक्ट्री सेरेमनी के मुख्य अतिथि सांसद श्री मन्नालाल रावत और राज्यसभा सदस्य श्री चुन्नीलाल गरासिया रहे। दोनों जनप्रतिनिधियों ने उदयपुर को जल क्रीड़ा का विश्वस्तरीय केंद्र बनाने की घोषणा की। सांसद रावत ने जल्द ही एक रेस्क्यू बोट उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, वहीं गरासिया ने 10 से 15 लाख रुपये मूल्य की नई कायक बोट्स स्ववित्त से उपलब्ध कराने की घोषणा की। कार्यक्रम में भारतीय ड्रैगन बोट चेयरमैन दिलीप सिंह चौहान ने राजस्थान खिलाडि़यों की सराहना करते हुए कहा कि संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने अद्भुत प्रदर्शन किया है। साथ ही दिसंबर 2025 में उदयपुर की फतेहसागर झील पर सीनियर वर्ग की ड्रैगन बोट राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित करने की घोषणा की गई। समारोह में राजस्थान संघ के चेयरमैन चंद्रगुप्त सिंह चौहान, स्टैंडप पैडलिंग चेयरमैन तुषार मेहता, कैनो स्प्रिंट चेयरमैन पियूष कच्छावाह, टीम मैनेजर तनिष्क पटवा और अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

Exit mobile version