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सागवाड़ा पालिका पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ दायर जनहित याचिका हाईकोर्ट से खारिजकोर्ट ने कहाः “यह जनहित नहीं, निजी हित का मामला है“

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24 News Update जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सागवाड़ा नगर पालिका पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र खोड़निया के विरुद्ध दायर जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला जनहित का नहीं बल्कि व्यक्तिगत असहमति का प्रतीक है। याचिका अनिल कटारा व मांगीलाल भील द्वारा वर्ष 2022 में दायर की गई थी, जिसमें नगर पालिका के पुराने भवन को गिराकर किराए पर लिए गए सुरभि कॉम्प्लेक्स में नया कार्यालय खोलने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप शाह व चंद्रशेखर जी की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि समस्त प्रक्रिया विधिसम्मत, पारदर्शी और प्रशासनिक निर्णयों के तहत हुई है। कोर्ट ने माना कि वर्ष 2006 से ही पुराने भवन को गिराने का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन था और नगर पालिका द्वारा भवन किराए पर लेने की प्रक्रिया भी नियमपूर्वक टेंडर प्रणाली से की गई है।

भ्रष्टाचार के आरोप भी खारिज
याचिकाकर्ताओं ने सुरभि कॉम्प्लेक्स को अध्यक्ष के भाई की संपत्ति बताते हुए किराए पर लिए जाने को अनियमित बताया था। कोर्ट ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए स्पष्ट किया कि कोई भ्रष्टाचार अथवा निजी लाभ का मामला सिद्ध नहीं होता। साथ ही न्यायालय ने कहा कि यह तय करना कि नगरपालिका कार्यालय कहां चलेगा, यह प्रशासनिक विषय है और इसमें अदालत का कोई दखल नहीं बनता।

तीन वर्षों से था स्थगन आदेश
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस शासित नगर पालिका बोर्ड ने पुराने जर्जर भवनों-पटवार घर, गिरदावर कार्यालय एवं नगर पालिका भवनकृको मिलाकर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और बस स्टैंड के पास नए भवन को मिनी सचिवालय के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पारित किया था। इस पर भाजपा समर्थित पार्षदों ने विरोध जताया था और याचिका दायर कर पिछले तीन वर्षों से निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश लागू था। अदालत ने निर्णय दिया कि याचिका जनहित के बजाय याचिकाकर्ताओं के निजी हित व असहमति से प्रेरित है, अतः यह जनहित याचिका के दायरे में नहीं आती और इसे खारिज किया जाता है।

जनता की जीत, विकास की राह में बाधा दूर – खोड़ानिया
पूर्व नगरपालिका पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र खोड़ानिया ने कोर्ट के फैसले को सागवाड़ा की 50 हजार जनता की जीत बताते हुए कहा कि भाजपा के कुछ नेताओं ने नहीं चाहा कि शहर में भव्य शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बने और कांग्रेस शासन में वागड़ का सबसे बड़ा मिनी सचिवालय खड़ा हो। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने षड्यंत्रपूर्वक अपने कार्यकर्ताओं से जनहित याचिका लगवाकर तीन साल तक विकास कार्यों को ठप करवाया। अब माननीय हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर एक ऐतिहासिक फैसला दिया है।

राज्य सरकार पर पक्षपात का आरोप
नगर कांग्रेस अध्यक्ष ललित पंचाल ने कहा कि राज्य सरकार ने भाजपा के दबाव में आकर खोड़ानिया को निलंबित किया था, जबकि हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नगरपालिका भवन गिराना, किराए पर लेना और पट्टा वितरण – सभी प्रक्रियाएं नियमानुसार हुई हैं। कोर्ट ने खोड़ानिया को आरोपमुक्त कर सात दिन में बहाली के निर्देश दिए, लेकिन भाजपा सरकार अब तक आदेश जारी नहीं कर रही है। पूर्व उपाध्यक्ष राजू शैख ने भी कहा कि उन्हें 69-A के पट्टे के मामले में निलंबित किया गया था, जबकि हाईकोर्ट ने उसे कानून सम्मत करार देते हुए कोई गड़बड़ी न होने की बात कही है। बावजूद इसके उन्हें अब तक बहाल नहीं किया गया।

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