24 News update पन्ना, 8 जुलाई। पन्ना टाइगर रिजर्व (पीटीआर) की सबसे बुजुर्ग और लोकप्रिय हथिनी ‘वत्सला’ का आज मंगलवार दोपहर 1:30 बजे निधन हो गया। उम्र के सौवें पड़ाव को पार कर चुकी वत्सला बीते कुछ समय से बीमार चल रही थी। पीटीआर के हिनौता कैंप में उसका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें रिजर्व प्रबंधन की वरिष्ठ टीम मौजूद रही।
जंगलों की ‘दादी’ ने वन्य जीवन में निभाई विशिष्ट भूमिका
वत्सला को पीटीआर में ‘दादी’ के नाम से जाना जाता था। वह हाथियों के कुनबे में न केवल सबसे वरिष्ठ थी, बल्कि अपनी ममतामयी प्रवृत्ति के कारण सभी की प्रिय भी थी। वत्सला अन्य हथिनियों के नवजात शिशुओं की देखभाल करती थी और नए जन्मों के समय एक दक्ष दाई की भूमिका निभाती थी।
1993 में आई थी पीटीआर, केरल के जंगलों में हुआ था जन्म
वत्सला का जन्म केरल के नीलांबुर वन क्षेत्र में हुआ था। वर्ष 1971 में उसे मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) लाया गया, और 1993 में पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया। प्रारंभिक वर्षों में वह करीब एक दशक तक बाघों की ट्रैकिंग में वन विभाग की सहायक रही। वर्ष 2003 में वत्सला को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी वह हाथियों के बच्चों की देखभाल में सक्रिय रही।
बर्थ रिकॉर्ड नहीं, गिनीज बुक में दर्ज नहीं हो सका नाम
माना जाता है कि वत्सला दुनिया की सबसे वृद्ध हथिनी थी, लेकिन उसका जन्म प्रमाण रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण उसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका। पीटीआर प्रबंधन ने उसकी उम्र की पुष्टि हेतु दांतों के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे थे, लेकिन कोई निश्चित परिणाम नहीं मिला। वर्तमान में यह रिकॉर्ड ताइवान की हथिनी ‘लिंगवान’ के नाम है।
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे
वत्सला की मौत की खबर मिलते ही पीटीआर की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की, डिप्टी डायरेक्टर मोहित सूद, और वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता अपनी टीम के साथ हिनौता कैंप पहुंचे। कैंप में विधिवत रूप से वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जताया शोक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा –
“वत्सला का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्य प्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थी। टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपने अस्तित्व में आत्मीयता और अनुभवों का सागर लिए रही। आज वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी स्मृतियां सदा जीवित रहेंगी। ‘वत्सला’ को विनम्र श्रद्धांजलि।”
एक युग का अंत, एक स्मृति की शुरुआत
वत्सला का जीवन सिर्फ एक हथिनी का नहीं, बल्कि वन्यजीवन संरक्षण, सह-अस्तित्व और संवेदनशीलता की जीवंत मिसाल था। उसकी ममता, सेवा और सादगी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। वन्यप्रेमियों और पीटीआर परिवार के लिए वत्सला की स्मृति हमेशा अमिट रहेगी।
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