24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। जिनका ईगो बार-बार हर्ट हो रहा है उनके लिए हमारा संदेश है कि सितमगर हमें नहीं मजूर है एक्सटेंशन का सितंबर। हमें दिसंबर तक का आदेश चाहिए। उससे कम में मंजूर नहीं। समझौते की बात झूठी फैलाई जा रही है। यह लॉलीपॉप दी जा रही है। प्रशासनिक आदेश जारी किया गया है, कोई वित्तीय स्वीकृति नहीं है। सीट पर बैठे अफसर नदारद है। हड़ताल अब और उग्र तरीके से की जाएगी। यह कहना है मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के एसएफएबी कर्मचारियों का। उनकी हड़ताल आज भी जारी रही। इस बीच कुछ समाचार समूहों में आदेश की प्रति भेज कर खबरें प्लांट करवाई गईं कि एक्सटेंशन का आदेश जारी किया गया है व हड़ताल समाप्त हो गई है। इसका खंडन करते हुए अध्यक्ष नारायण लाल सालवी ने साफ किया कि बिना वित्तीय स्वीकृति के आदेश का कोई महत्व नहीं है। दिसंबर तक काम करने का सरकारी आदेश है। उसको नहीं मान कर सरेआम मनमानी की जा रही है। अब तो पूरे विश्वविद्यालय में यह बात आम हो चली है कि कुछ लोगों की ईगो प्राब्लम के कारण बार बार हड़ताल करनी पड़ रही है।
बस बीच सूत्रों से सूचना मिली कि कल सीओडी की बैठक में यह मुद्दा जोर शोर से उठाया गया व सभी कॉलेजों के प्रतिनिधियों ने साफ कह दिया कि बार बार हड़ताल से वे तंग आ चुके हैं, समाधान तत्काल नहीं निकला तो परेशानी बढ़ना तय है। इस पर सेल्फ फाइनेंस बोर्ड में दिसंबर तक एक्सटेंशन पर चर्चा की गई। मगर इगो हर्ट वालों व चक्की पिसिंग वालों ने कहा कि जुलाई तक एक्सटेंशन दे दो। इसके बाद तीन महीने के एक्सटेंशन की बात हुई। फंडिंग की बात भी हुई। तय हुआ कि सितंबर तक का ऑर्डर निकाल दो। नए इंटरव्यू पर रजामंदी हुई, ऑर्डर निकवाया मगर केवल प्रशासनिक। जब यह ऑर्डर कर्मचारियों के समक्ष आया तो उन्होंने साफ कह दिया कि यह अन्याय है। पांच सूत्रीय मांगों पर अब भी वे कायम हैं व हड़ताल पर हैं।
स्ववित्त पोषित (एस.एफ.एस.) योजना के तहत कार्यरत संविदाकर्मी लगातार चौथे दिन भी धरने पर डटे रहे। विश्वविद्यालय परिसर में शांतिपूर्ण धरना अब छात्रों और शैक्षणिक कार्यों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने लगा है। संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष नारायण लाल सालवी ने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते कर्मचारियों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, और विडंबना यह है कि चौथे दिन भी विश्वविद्यालय प्रशासन से कोई अधिकारी न तो धरना स्थल पर पहुंचा और न ही बातचीत की कोई पहल की गई।
विश्वविद्यालय की सेवाएं हुईं प्रभावित
धरने के चलते विश्वविद्यालय की प्रशासनिक और अकादमिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं। डिग्री, डिप्लोमा, मार्कशीट और परीक्षा से जुड़ी सेवाओं के लिए आदिवासी अंचल से आए विद्यार्थी दिनभर इधर-उधर भटकते रहे। किसी भी अधिकारी ने उनकी समस्याओं की सुध नहीं ली। छात्रों को संतोषजनक उत्तर देने के लिए न कोई डीन सामने आया और न ही कोई विभागीय निदेशक। इन दिनों विभिन्न महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु काउंसलिंग प्रक्रिया चल रही है, लेकिन कर्मचारियों की गैरमौजूदगी के कारण यह प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। इससे विद्यार्थियों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कुलपति व वित्त नियंत्रक की अनुपस्थिति पर नाराज़गी
सालवी ने कहा कि कर्मचारियों की खराब स्थिति और निरंतर आंदोलन के बावजूद माननीय कुलपति व वित्त नियंत्रक विश्वविद्यालय से पूरी तरह नदारद रहे, जो प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है। संगठन ने मांग की है कि जल्द से जल्द प्रशासन संवाद स्थापित कर समस्याओं का समाधान निकाले, अन्यथा आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
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