24 news Update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय का 21वां दीक्षांत समारोह गुरुवार को प्रतापनगर स्थित महाराणा प्रताप खेल मैदान में भव्य रूप से आयोजित हुआ। समारोह में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा को डी.लिट. की मानद उपाधि प्रदान की गई। छह हजार से अधिक विद्यार्थियों की मौजूदगी में 120 पीएचडी उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 80 बेटियाँ शामिल रहीं। वहीं, 48 स्वर्ण पदकों में 34 बेटियों ने स्थान प्राप्त किया।
समारोह का शुभारंभ कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, विशिष्ट अतिथि भक्त कवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय, जुनागढ़ के कुलपति प्रो. प्रतापसिंह चौहान, राज्यपाल सलाहकार (उच्च शिक्षा) प्रो. कैलाश सोडाणी, रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली और परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया।
अपने संबोधन में प्रो. पंकज अरोड़ा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत को अब नौकरी खोजने वालों की नहीं, अवसर सृजन करने वाले युवाओं की आवश्यकता है।” उन्होंने युवाओं से तीन संकल्प अपनाने का आह्वान किया — चरित्र, जो ज्ञान से श्रेष्ठ है; नवाचार, जो भय से मुक्त होकर नए विचारों को जन्म देता है; और समाज सेवा, जो हर कार्य को जनहित से जोड़ती है।
उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति को सक्षम और संवेदनशील दोनों बनाए। जब तकनीक में मानवीय संवेदना जुड़ती है, तभी वह कल्याणकारी बनती है। उन्होंने युवाओं से “टेक्नोलॉजी ऑफ भारत” की भावना से कार्य करने का आह्वान किया, ताकि गाँवों और वंचित समुदायों तक ज्ञान और तकनीक की रोशनी पहुँचे। असफलताओं को खुले मन से स्वीकार कर चुनौतियों का समाधान खोजने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मूल्य और आधुनिक विज्ञान का संतुलन ही सच्ची शिक्षा का स्वरूप है।
प्रो. अरोड़ा ने विद्यापीठ को नई शिक्षा नीति 2020 की भावना का सशक्त उदाहरण बताते हुए कहा कि यहाँ शिक्षा समग्र, बहुविषयक और जीवनोन्मुख है, जो विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन और सामाजिक संवेदनशीलता विकसित करती है।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि “दीक्षांत केवल प्रमाण पत्र नहीं, बल्कि गुरु के आशीर्वाद और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल अर्जन नहीं, बल्कि अर्पण होना चाहिए। सत्य, सेवा और संयम के तीन स्तंभों पर आधारित जीवन ही सफलता की राह दिखाता है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि शिक्षा से ही देश की आत्मशक्ति, कर्तव्यबोध और जिम्मेदार नागरिकता का निर्माण होता है। विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रतापसिंह चौहान ने युवाओं को श्रम, कौशल और नवाचार के माध्यम से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का संदेश दिया, वहीं प्रो. कैलाश सोडाणी ने उच्च शिक्षा में साइबर जागरूकता और स्वदेशी भावना को प्रोत्साहित करने की बात कही।
समारोह की शुरुआत अकादमिक काउंसिल के प्रोसेशन और एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर से हुई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया। इस अवसर पर विद्या प्रचारिणी सभा भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री प्रो. महेंद्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक डॉ. मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, वित्त मंत्री शक्ति सिंह कारोही, संयुक्त सचिव राजेन्द्र सिंह, प्रो. रेणु राठौड़, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. कौशल नागदा, प्रो. रितु तोमर, डॉ. अपर्णा शर्मा, प्रो. पी.एस. रावलोत, डॉ. रश्मि बोहरा सहित विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

