Site icon 24 News Update

कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने 9 करोड़ की लागत से बने कृषि भवन का किया लोकार्पण

Advertisements


24 News Update उदयपुर. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक एग्रीकल्चर महाविद्यालय में 9 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आधुनिक कृषि भवन का लोकार्पण गुरुवार को राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत और कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने संयुक्त रूप से किया। लोकार्पण समारोह में भवन की पट्टिका का अनावरण किया गया तथा पारंपरिक रूप से अतिथियों का स्वागत किया गया।
समारोह की शुरुआत एनसीसी कैडेट्स के गार्ड ऑफ ऑनर से हुई, इसके बाद अतिथियों ने परिसर में ‘मां’ के नाम पर एक पौधा भी रोपा। विद्यार्थियों ने राजस्थानी गीतों पर रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देकर माहौल को जीवंत कर दिया।

अनुशासन और जैविक कृषि ही है भविष्य की सही राह” – डॉ. किरोड़ी लाल मीणा

अपने संबोधन में कृषि मंत्री डॉ. मीणा ने कहा कि आज के बदलते समय में कृषि, शिक्षा और जीवनशैली सभी क्षेत्रों में व्यापक बदलाव की आवश्यकता है। विद्यार्थियों को तकनीकी दक्षता के साथ नैतिकता, पर्यावरण चेतना और राष्ट्र प्रेम जैसे मूल्यों से भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज गरीबों का खाना अमीरों की पसंद बन चुका है। बड़े होटलों में पहुंचते ही सबसे पहले पारंपरिक देसी व्यंजन जैसे सूप या बाजरा परोसा जाता है।” उन्होंने रासायनिक खेती पर चिंता जताते हुए कहा कि खेतों की उर्वरा शक्ति लगातार घट रही है, जिससे खाद्य गुणवत्ता और लोगों का स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। डॉ. मीणा ने कहा, “रासायनिक उत्पादन के कारण हर व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित है, और देश महामारी की ओर बढ़ रहा है।” इस समस्या के समाधान हेतु उन्होंने प्राकृतिक, बायो और ऑर्गेनिक खेती को प्रमुख विकल्प बताया और जीएपी (Good Agricultural Practices) अपनाने पर बल दिया। कृषि मंत्री ने केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न किसान-कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाना बेहद जरूरी है, और इसके लिए संस्थानों को किसानों की पैरवी करनी चाहिए।

“परंपरा और नवाचार के समन्वय से कृषि शिक्षा को नई दिशा दे रहा है विद्यापीठ” – प्रो. सारंगदेवोत

समारोह में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ का उद्देश्य भारतीय परंपरागत कृषि प्रणाली को आधुनिक तकनीकी नवाचारों के साथ समन्वित कर एक आदर्श कृषि शिक्षा मॉडल विकसित करना है। उन्होंने बताया कि विद्यापीठ का स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलुओं पर कार्य कर रहा है: टिकाऊ (Sustainable) कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना,
सतत विकास की अवधारणा को जमीन पर उतारना, जैव विविधता संरक्षण के माध्यम से पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना, कम लागत में अधिक उत्पादन की दिशा में नवाचार, ग्रामीण एवं आदिवासी समुदायों की आर्थिक उन्नति हेतु समर्पित प्रयास, प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यापीठ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर कृषि के सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के लिए दक्ष मानवीय संसाधनों का निर्माण कर रहा है।


“भूमि की गुणवत्ता बचाने के लिए ऑर्गेनिक खेती ही समाधान” – भंवरलाल गुर्जर

अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने रासायनिक खेती से हो रहे भूमि ह्रास पर चिंता व्यक्त करते हुए ऑर्गेनिक एवं पारंपरिक खेती को पुनः अपनाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराना जरूरी है ताकि किसानों को इसका आर्थिक लाभ मिल सके और आमजन तक ये उत्पाद सरलता से पहुँचें। अपने संबोधन में उन्होंने मेवाड़ क्षेत्र में नीलगायों से फसलों को हो रहे नुकसान की ओर ध्यान आकर्षित किया और छोटी जोत की ज़मीनों पर बाड़बंदी के लिए अनुदान देने की मांग की।


किसानों और महिला कृषकों को कृषि उपकरणों का वितरण


समारोह के दौरान चयनित किसानों को कीट व रोग नियंत्रण हेतु स्प्रे मशीनें वितरित की गईं, वहीं महिला किसानों को कृषि कार्यों में उपयोगी उपकरणों का वितरण किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा बीएड महाविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘शांति, विचार एवं क्रिया’ पुस्तक तथा कृषि विवरणिका का विमोचन किया गया। कृषि मंत्री डॉ. मीणा ने संस्थान के म्यूजियम एवं प्रयोगशालाओं का अवलोकन कर व्यवस्थाओं की सराहना की। इस अवसर पर समाजसेवी मूलचंद सोनी, पीठस्थविर डॉ. कौशल नागदा, रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, मंत्री प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. बलिदान जैन, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर और शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया एवं आभार प्रदर्शन प्रो. आईजे माथुर द्वारा किया गया।

Exit mobile version