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कोहरे के मौसम में सुरक्षित रेल संचालन को लेकर उत्तर पश्चिम रेलवे ने लगाई फॉग सेफ्टी डिवाइस

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24 News Update जयपुर। उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम के दौरान कोहरे की अधिकता के कारण रेल यातायात पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे ने सुरक्षित एवं संरक्षित रेल संचालन के लिए व्यापक स्तर पर विशेष व्यवस्थाएं की हैं। विशेष रूप से जयपुर एवं बीकानेर मंडल के रेलखंड कोहरे से अधिक प्रभावित रहते हैं, ऐसे में रेलवे ने सभी संबंधित विभागों को सतर्कता के साथ कार्य करने के निर्देश जारी किए हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी शशि किरण ने बताया कि कोहरे के मौसम में रेल परिचालन की संरक्षा एवं सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी क्रम में महाप्रबंधक अमिताभ द्वारा समीक्षा बैठक के दौरान सभी विभागाध्यक्षों को सर्दियों के मौसम में अतिरिक्त सावधानी एवं समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

1500 से अधिक फॉग सेफ्टी डिवाइस तैनात
कोहरे की अधिकता वाले रेलखंडों पर संचालित सभी रेलसेवाओं के लोको पायलटों को फॉग सेफ्टी डिवाइस (FSD) उपलब्ध कराए गए हैं। संपूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर लगभग 1500 फॉग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध हैं, जिनमें कोहरे प्रभावित रेलखंडों की जीपीएस मैपिंग की जा चुकी है। जयपुर एवं बीकानेर मंडल में इन उपकरणों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
यह डिवाइस इंजन पर स्थापित की जाती है और जीपीएस तकनीक के माध्यम से लोको पायलट को आगामी सिग्नलों की दूरी की जानकारी पूर्व में ही उपलब्ध कराती रहती है, जिससे ट्रेन की गति नियंत्रित कर सुरक्षित संचालन सुनिश्चित किया जाता है।

अतिरिक्त तकनीकी व संरक्षा उपाय
रेलवे द्वारा कोहरे प्रभावित रेलखंडों में सभी स्तर के कर्मचारियों के लिए सेफ्टी सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं। कम तापमान के कारण संभावित रेल या वेल्डिंग फेलियर की पहचान कर उनकी समय पर मरम्मत की जा रही है। साथ ही फिश प्लेटों का अनुरक्षण, ट्रैक रिन्यूअल जैसे कार्य भी प्राथमिकता से पूरे किए जा रहे हैं।
स्टेशनों, समपार फाटकों एवं पूर्व चिन्हित स्थानों पर डेटोनेटर (पटाखों) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। सिग्नलों की दृश्यता बेहतर बनाने के लिए संकेतकों पर पुनः पेंटिंग, चमकीले साइन बोर्ड लगाए गए हैं तथा संकेतकों के आसपास गिट्टियों को चूने से रंगा गया है।

पेट्रोलिंग व निगरानी बढ़ाई
कोहरे के मौसम में रेलपथ की निगरानी को और अधिक मजबूत करने के लिए पेट्रोलिंग की आवृत्ति बढ़ाई गई है। इसके साथ ही रेलकर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है तथा निरीक्षकों एवं अधिकारियों द्वारा स्टाफ की सजगता की नियमित जांच की जा रही है।

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