- मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में चल रहे है निरंतर धार्मिक प्रवचन
24 News Update उदयपुर। मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि 7 सितम्बर से नौ दिवसीय नमस्कार महामंत्र का भाष्य जाए एवं नवान्हिका महोत्सव का शुभारंभ होगा। प्रात: 6 बजे से शाम 7 बजे तक महिलाएं जाप साधना करेगी एवं शाम 7 बजे से प्रात: 6 बजे तक पुरुष वर्ग साधना में जुड़ेंगे। नौ दिनों में विविध पूजा-पूजन आदि कार्यक्रम भी होगे। प्रतिदिन प्रात: 9.30 बजे प्रवचन होगें।
आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर की निश्रा में नमस्कार महामंत्र की महिमा विषय पर प्रवचन श्रृंखला में शुक्रवार को धर्मसभा में प्रवचन देते हुए जैनाचार्य श्री ने कहा कि इस जगत् में वीतराग परमात्मा के समान अन्य देव, शत्रुंजय समान अन्य तीर्थ और नमस्कार महामंत्र के समान अन्य कोई मंत्र ना कभी हुआ है ना कभी हो सकते है। संसार में परिभ्रमण करते हुए आत्मा के लिए इन तीनों की प्राप्ति अत्यंत दुर्लभ है। हमारे परम सौभाग्य से ये तीनों वस्तुओं की प्राप्ति हमें हो चुकी है, परंतु मात्र प्राप्ति से कार्य नहीं होते है उनकी आराधना और उपासना करना हमारा परम कर्तव्य है। जैसे रोग को दूर करने के लिए दवाई को मात्र अपने पास में रखने से उससे रोग दूर नहीं होता है। रोग दूर करने के लिए तो दवाई को सेवन करना पड़ता है। जय दवाई रक्त के साथ एक मेक होती है तभी रोग दूर हो सकता है। वैसे ही दुनिया में सबसे दुर्लभ पदार्थों की प्राप्ति होने के बाद यदि हम उनकी सेवा और उपासना न कर सके तो इनकी प्राप्ति निष्फल मानी जाती है। इस विश्व में सभी अक्षरों का यदि कोई सर्वश्रेष्ठ संयोजन हो तो वह 68 अक्षर के इस नवकार महामंत्र में है। इस महामंत्र की आराधना से जीवन में रही समस्त आधि, व्याधि और उपाधि का नाश होकर सर्व संपत्ति की प्राप्ति होती है तथा आत्मा अपने आत्म विकास में उत्तरोत्तर प्रगति करती है।
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