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अमृता देवी विश्नोई बलिदान दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी : पर्यावरण एवं सतत विकास पर हुआ गहन मंथन, विशेषज्ञों ने दिया सामूहिक प्रयासों का संदेश

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24 News Update उदयपुर। प्रकृति एवं वृक्षरक्षक अमृता देवी विश्नोई के बलिदान दिवस पर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, भारतीय मजदूर संघ एवं राष्ट्र मंथन के संयुक्त तत्वावधान में प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में पर्यावरण एवं सतत विकास विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

संगोष्ठी का शुभारंभ कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष हिरण्य मय पंड्या, पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी, सेवानिवृत्त ले. जनरल एन.के. सिंह, आलोक संस्थान निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत, सीनेट सदस्य गजेन्द्र भट्ट एवं अधिवक्ता रमन कुमार सूद ने सरस्वती प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया।


पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार से विभूतियों का सम्मान

इस अवसर पर पर्यावरण क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले प्रो. एम. जी. वाष्णेय को 2025 का अमृता देवी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार तथा डॉ. अनिल मेहता को 2024 का पुरस्कार प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शॉल, उपरणा, पगड़ी, प्रशस्ति पत्र एवं नकद राशि दी गई। उल्लेखनीय है कि डॉ. मेहता ने नकद राशि विद्यापीठ विकास के लिए दान कर दी।

साथ ही, डॉ. विजय प्रकाश विप्लवी को उनकी पुस्तक पत्रकार दिनदयाल उपाध्याय के प्रकाशन पर शॉल, उपरणा, पगड़ी एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।


हिरण्य मय पंड्या : “अमृता देवी का बलिदान प्रेरणास्रोत”

मुख्य वक्ता हिरण्य मय पंड्या ने कहा कि 1730 में अमृता देवी ने अपनी तीन पुत्रियों व 362 अन्य स्त्री-पुरुषों के साथ प्रकृति रक्षा हेतु बलिदान दिया था।

उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ पिछले 63 वर्षों से इस दिवस को पर्यावरण दिवस के रूप में मना रहा है। पंड्या ने अपने संबोधन में ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत विघटन और कार्बन क्रेडिट जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि अनजाने में हम प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ रहे हैं, जिसे सुधारने के लिए जागरूकता आवश्यक है।

उन्होंने पौधों के औषधीय गुणों, औद्योगिक विकास में पर्यावरणीय संतुलन और समस्या समाधान में उनकी भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा की।


प्रो. सारंगदेवोत : “आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में संतुलन जरूरी”

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि विकास समय की आवश्यकता है, किंतु आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को संरक्षित रखना बड़ी चुनौती है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में सामंजस्य स्थापित करके ही सतत विकास का आधार तैयार किया जा सकता है।
उन्होंने वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों और भावी संभावनाओं पर भी अपने विचार साझा किए।


धर्मनारायण जोशी : “पहाड़ियों की कटाई व रिसॉर्ट निर्माण से बढ़ा संकट”

मुख्य अतिथि पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी ने कहा कि विधानसभा में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न पर वन विभाग ने जवाब दिया कि उदयपुर में एक भी पहाड़ी नहीं कटी, जबकि हकीकत में बड़ी संख्या में पहाड़ियां काटकर रिसॉर्ट व होटल बनाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जंगल, जल, जमीन और जानवरों की रक्षा के लिए भारतीय ज्ञान परंपराओं की पद्धतियों को अपनाना होगा।
साथ ही उन्होंने वैचारिक प्रदूषण व असंतुलन को दूर कर भारतीय संस्कारों को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का आह्वान किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने अमृता देवी व अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक पर्यावरणीय असंतुलन की स्थिति को देखते हुए स्थानीय स्तर पर भी जन-जागरूकता लाना बेहद जरूरी है।


विशेषज्ञों ने दिए सुझाव


उपस्थित गणमान्य

कार्यक्रम में डॉ. सरोज गर्ग, अमर सिंह सांखला, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, पुरुषोत्तम शर्मा, कर्नल अभय लोढ़ा, विजय सिंह वाघेला, रमेश सिंह चौहान, राजकुमार गौड़, हेमंत गर्ग, भगवती मेनारिया, मनीषा मेघवाल, जय सिंह पंवार, गजेंद्र सिंह राणावत, मनोहर सिंह चौहान, भद्रपाल सालगिया, कपूरचंद, वर्दीशंकर सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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