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आदिवासी क्षेत्र में अतिरिक्त आय का स्रोत है मशरूम की खेती : डॉ. मीना

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उदयपुर, 4 अक्टूबर। अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना, अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) के अंतर्गत ग्राम पंचायत फलासिया में शनिवार को मशरूम के पोषणीय एवं औषधीय महत्व पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में पंचायत समिति फलासिया के 25 से 30 गांवों के किसान और महिला समूहों ने भाग लिया।

मशरूम की खेती से ग्रामीणों को मिलेगा अतिरिक्त आय का अवसर

कार्यक्रम में परियोजना प्रभारी डॉ. एन. एल. मीना ने मशरूम के पोषणीय और औषधीय गुणों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से ढींगरी (ऑयस्टर) और दूधछाता (मिल्की) मशरूम की खेती के वैज्ञानिक तरीकों और उससे होने वाले आर्थिक लाभ पर प्रकाश डाला।

कृषि विभाग के कृषि अधिकारी श्री शिवदयाल मीणा ने किसानों से कहा कि मशरूम की खेती से कम लागत में अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। उन्होंने राजस्थान सरकार की अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों की जानकारी भी दी।


प्रायोगिक प्रशिक्षण एवं सामग्री वितरण

प्रशिक्षण के दौरान श्री अविनाश कुमार नागदा एवं किशन सिंह राजपूत ने प्रतिभागियों को मशरूम उत्पादन की प्रायोगिक विधियों का प्रदर्शन कराया।
कार्यक्रम के अंत में अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत 30 प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम उत्पादन सामग्री का वितरण किया गया। यह जानकारी रामनारायण कुम्हार सह जनसंपर्क अधिकारी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने दी।

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